लद्दाख के नजदीक चीन ने तैनात किए फाइटर जेट

लद्दाख के नजदीक चीन ने तैनात किए फाइटर जेट
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पेइचिंग
से फैले कोरोना संक्रमण के कारण पूरी दुनिया परेशान है लेकिन चीन अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए अलग ही गेम खेल रहा है। भारत से लगती सीमा पर सैन्य झड़पों के बाद चीन ने न केवल अपने सैनिकों को बड़ी संख्या में सीमा के पास तैनात कर दिया है बल्कि ऊचाईं वाले इलाके में उड़ान भरने के अनुकूल लड़ाकू विमान जे-11 और जे 16एस को भी ऑपरेट करना शुरू कर दिया है। इन तस्वीरों को ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एनॉलिस्ट Detresfa ने जारी किया है।

फाइटर जेट की तस्वीर आई सामने
ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने Ngari Gunsa एयरबेस पर लड़ाकू विमानों के परिचालन को तेज कर दिया है। इतना ही नहीं, हाल के दिनों में यहां कई ट्रांसपोर्ट विमानों की लैंडिंग भी हुई है। माना जा रहा है कि भारत से लगी सीमा पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए चीन आवश्यक सैन्य साजोसामान को पहुंचा रहा है।

ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की उड़ाने भी बढ़ीं
लद्दाख के नजदीक इस चीनी एयरबेस को बढ़ाने का काम भी किया जा रहा है। चीनी एयरफोर्स Ngari Gunsa एयरबेस पर एक और रनवे का निर्माण कर रही है। इस रनवे पर भारी ट्रांसपोर्ट जहाजों तो उतारा जा सकता है।

कितने खतरनाक हैं ये फाइटर जेट
चीन का शेययांग जे 11 रूस की सुखोई एसयू 27 का चीनी वर्जन है। यह फाइटर प्लेन एयर सुपीरियर होने के साथ दूर तक हमला करने में सक्षम है। इसमें दो इंजन लगे होते हैं जिससे जेट को ज्यादा पॉवर मिलती है। चीन में निर्मित इस विमान को केवल चीनी एयर फोर्स ही ऑपरेट करती है। यह जेट 33000 किलोग्राम तक के वजन के साथ उड़ान भर सकता है। यह विमान एक बार में 1500 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकता है।

इसी एयरबेस पर चीन ने तैनात किए फाइटर जेट

भारत के निर्माण कार्य पर आपत्ति जताने से हुआ तनाव
ताजा तनाव तब शुरू हुआ जब चीन ने भारतीय सीमा में चल रहे निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई। हालांकि, ने बताया कि पेंगोंग में अब संघर्ष जैसी स्थिति नहीं है और वहां ज्यादा सैनिक भी नहीं हैं। शुक्रवार को भारतीय थल सेना के प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरावणे ने 14 कॉर्प्स के लेह स्थित मुख्यालय का दौरा किया और एलएसी पर सुरक्षा बलों की तैनाती का जायजा लिया। उन्होंने नॉर्दर्न कमांड के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी और 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह एवं अन्य अधिकारियों के साथ मीटिंग की और एलएसी के पास के जमीनी हालात से वाकिफ हुए।

लद्दाख में कुछ ऐसा ही हुआ है, जो चीन को खल रहा है। वहां सालभर पहले एक सड़क बनकर पूरी हुई है। यह काम बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण हालात में संपन्न हुआ। यही वजह है कि लद्दाख में चीन की छटपटाहट लगातार सामने आ रही है। पिछले दिनों भी सिक्किम और लद्दाख में चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों से उलझ पड़े थे। जानकार मानते हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर इस तरह की घटनाएं आगे भी सामने आ सकती हैं।

सालभर पहले बनी सड़क ने बढ़ाई चीन की परेशानी
दरअसल, लद्दाख में निर्मित दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड मैदानी इलाका देपसांग और गलवान घाटी तक पहुंचता है। इसे सीमा सड़क संगठन (BRO) ने बनाया है। बीआरओ भारत सरकार की वह एजेंसी है जो अपने देश के साथ-साथ पड़ोसी मित्र देशों के सीमाई इलाकों में रोड नेटवर्क तैयार करती है। इसी संगठन ने ठीक एक वर्ष पहले दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड का काम पूरा कर दिया। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर नजर रखने वाले नितिन गोखले ने ट्वीट के जरिए लद्दाख में भारत की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी है।

गोखले के मुताबिक, दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड देसपांग तक 255 किमी तक की दूरी तय करता है। इसका ज्यादातर हिस्सा तांग्त्से और श्योक नदी के किनारे-किनारे ही है। काराकोरम श्रेणी की पर्वतश्रृंखला में कई हिमनद (ग्लेशियर) और बर्फीली झीलें हैं जो सड़क के साथ-साथ लगती हैं। इन ग्लेशियरों और झीलों की बर्फ पिघलती है और पानी घाटी में बहता है। इससे इलाके में बर्फ और जमीन खिसकने की घटनाएं होती रहती हैं। इससे अक्सर नदी के बहाव की दिशा बदल जाती है।

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