गुलामी, नीलामी, रेप, अबॉर्शन: IS की हैवानियत
इराक के मोसुल शहर में एक वेडिंग हॉल को गुलामों को रखने की जगह बना दिया गया। इस्लामिक स्टेट (IS) के लड़ाके दर्जनों यजीदी महिलाओं और बच्चियों को किडनैप करके लाते हैं और यहां छोड़ देते हैं। यहां से उन्हें गुलामी के चुना जाता है। IS में गुलामी की शुरुआत करने वाला हाजी अब्दुल्लाह बाद में अबु बक्र अल-बगदादी का डेप्युटी बन गया और माना जाता है कि अब वह अबु इब्राहिम अल-हाशमी अल-कुरैशी के नाम से रहता है। उसके ऊपर 50 लाख डॉलर का इनाम है। कमीशन फॉर इंटरनैशनल जस्टिस ऐंड अकाउंटबिलिटी (CIJA) के जांचकर्ता हाजी समेत IS के दूसरे लड़ाकों के खिलाफ सबूत जुटा रहे हैं ताकि इंसानियत के खिलाफ अपराध, जंग और नरसंहार के लिए उन्हें सजा दी जा सके।
…ताकि पैदा ही न हों यजीदी
CIJA के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर और फाउंडर बिल विली का कहना है कि ये लड़ाके यूं ही यजीदी महिलाओं को किडनैप कर रेप नहीं करते थे बल्कि यह संगठन के नेतृत्व की सोची-समझी साजिश थी। उनका कहना है, ‘वह IS का पूरा तंत्र इसे करने में लगा देते थे। वह यजीदी समुदाय को ही खत्म करना चाहते थे। इसलिए ऐसा करते थे ताकि वहां यजीदी बच्चे ही न पैदा हों।’ कुछ जांचकर्ताओं के मुताबिक IS दस्तावेजों, बचकर निकले पीड़ितों और अंदर के सूत्रों से पता चला है कि कम से कम 49 लड़ाके इस Slave Trade को चलाते थे और इन गुलामों के करीब 170 मालिक हैं। IS के शिकंजे से करीब 3,500 गुलामों को आजाद कराया जा चुका है। 2,900 यजीदी अभी भी लापता हैं जिनमें से करीब 1,300 महिलाएं और बच्चे हैं। इनमें से कई सीरिया के कुर्डिश इलाकों में IS समर्थकों के साथ हैं।
…मां-बच्चे की प्यास से मौत
संगठन के ‘कैबिनेट’ ने गुलामी प्रथा बनाई, सिक्यॉरिटी गार्ड्स इसका पालन कराते थे और इस्लामिक कोर्ट इसका सुपरविजन करते थे। इसके बावजूद IS के लड़ाके आपस में गुलामों को आपस में खरीदते-बेचते थे और उनके परिवारों तक को वापस बेच देते थे। CIJA का कम IS के संदिग्धों के खिलाफ केस तैयार करना है ताकि आतंकी संगठन का सदस्य होने और सपॉर्ट करने के आरोप के अलावा नरसंहार की सजा दी जा सके। पिछले महीने ही एक जर्मन अदालत ने इराकी नागरिक को एक यजीदी महिला और उसके पांच साल के बच्चे की मौत के केस में आरोप तय किया है। इस मां-बच्चे को बांधकर रखा गया और प्यास से उनकी मौत हो गई।
लड़ाकों को तोहफे में दी जातीं लड़कियां
IS ने अगस्त 2014 में यजीदी समुदाय के खिलाफ सिंजर पहाड़ के पास के इलाके में हमले शुरू कर दिए थे। लड़ाकों ने सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी और कम से कम 6,417 लोगों का अपहरण कर लिया। इनमें आधे से ज्यादा महिलाएं और लड़कियां थीं। किडनैप किए गए ज्यादातर पुरुषों की हत्या कर दी गई। शुरुआत में महिलाओं को ऐसे लड़ाकों को तोहफे के तौर पर दे दिया जाता था जो इन हमलों में शामिल होते थे। यहां तक कि हमले में शामिल होने के सबूत के तौर पर लड़ाके हाजी अब्दुल्लाह की दी हुई रसीद भी रखते थे और उसे दिखाकर गुलामों में दावा ठोंकते थे।
लगती थी बोली, लॉटरी से बेची जातीं
बची हुई महिलाओं को IS के नियंत्रण वाले इलाकों में भेज दिया जाता था जहां मोसूल और रक्का जैसे शहरों में बाजारों में बेच दिया जाता था। यहां तक कि सीरिया के पामायरा में इन गुलामों को रनवे पर चलवाया जाता था जहां लड़ाके उन पर बोलियां लगाते थे। बाकी लॉटरी के जरिए महिलाओं को खरीदते थे। सोल्जर्स डिपार्टमेंट या दीवान अल-जंड ऐसे लड़ाकों का हिसाब रखते थे जिनके पास गुलाम होते थे। IS इन लड़ाकों को हर गुलाम के लिए 50 डॉलर और बच्चे के लिए 35 डॉलर का स्टाइपेंड भी देता था। हालांकि, उन्हें संभालना आसान नहीं था।
परिवारों को ही वापस बेचा गया
गुलामों को निजी फायदे के लिए बेचा जाने लगा। कुछ लड़ाकों ने परिवारों को वापस बेचने के नाम पर हजारों डॉलर कमा लिए। IS अधिकारियों ने महिलाओं को उनके बच्चो से अलग करने पर बैन लगाने की कोशिश की। इन महिलाओं की तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड करना भी प्रतिबंधित था। स्लेव ट्रेड को इस्लामिक कोर्ट में रजिस्टर कराने का नियम बनाया गया। ऐसे लड़ाकों को सजा देने का ऐलान भी किया गया जिन्होंने महिलाओं को IS के बाहर बेचने की कोशिश की। हालांकि, कोर्ट में बने कानूनों के पालन की जगह असंगिठत व्यापार घरों से भी चलता था।
महिलाओं, लड़कियों का रेप, हत्या
IS की कैद से बचकर निकलीं लैला तालू अपनी आप बीती सुनाती हैं तो रूह कांप जाती है। लैला के 8 मालिक थे। वह बताती हैं, ‘वे उसे इस्लामिक कानून कहते थे। महिलाओं और छोटी लड़कियों का रेप करते थे।’ तालू, उनके पति, बेटे और नवजात बेटी को 2014 में किडनैप किया गया और इस्लाम में परिवर्तन कराने को मजबूर किया गया। जिन आदमियों के धर्म बदलवाए गए उन्हें मार दिया गया और तालू जैसी महिलाओं को गुलाम बना लिया गया। वह कहती हैं, ‘यह सब किसलिए? उन्होंने महिलाओं को ले जाने या मौत के घाट उतारने से पहले एक बार भी नहीं सोचा।’
प्रेग्नेंट किया, फिर अबॉर्शन…फिर प्रेग्नेंट
तालू बताती हैं कि उनके मालिकों में से एक इराकी सर्जन था। उसने तालू को मेकअप के साथ तैयार किया और सऊदी के चार आदमियों के सामने नुमाइश गई। IS की धार्मिक पुलिस के एक सदस्य ने उन्हें 6 हजार डॉलर में खरीद लिया। उन्होंने बताया कि उनका मालिक फैशन सो की तरह आदमियों से भरे कमरे में महिलाओं को चलवाता था। एक मालिक ने धमकी दी थी कि वह तालू की दो साल की बेटी को इराकी महिला को बेच देगा। उसने पहले तालू को प्रेग्नेंट किया और फिर अबॉर्शन के लिए मजबूर किया। एक और मालिक ने भी उन्हें प्रेग्नेंट किया और उन्होंने खुद ही अबॉर्शन कर लिया। आखिरकार वह अपने बच्चों के साथ एक तस्कर को पैसे देकर भागने में कामयाब रहीं। तालू कहती हैं कि उनका नाम यजीदियों को इंसाफ दिलाने के अभियान में इस्तेमाल होना चाहिए।