चीन से खतरा, खुद को तैयार कर रहा जापान

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

‘उगते सूरज का देश’ जापान इन दिनों कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहा है। कोरोना महासंकट की इस घड़ी में जापान को एक और बड़ा एक खतरा चैन से सोने नहीं दे रहा है। दरअसल, अब तक केवल नॉर्थ कोरिया से हमले की आशंका में रहने वाले जापान को चीनी ड्रैगन के निगलने का बड़ा खतरा आसन्‍न आता दिखाई पड़ रहा है। ड्रैगन के इसी खतरे को देखते हुए जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कोरोना से कंगाली के बावजूद द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद अब तक का सबसे बड़ा रक्षा बजट पारित कराया है। आइए जानते हैं कि जापान को चीन से किस तरह का खतरा है और ड्रैगन को काबू में करने के लिए तोक्‍यो क्‍या रणनीति अपना रहा…

द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद केवल आत्‍मरक्षा के लिए सेना रखने वाले जापान ने चीन से निपटने के लिए अब अपनी नीतियों में आक्रामक रुख अख्तियार करना शुरू कर दिया है। जापान ने अपनी सेना को आधुनिक बनाने के लिए 46.3 अरब डॉलर का भारी भरकम रक्षा बजट आवंटित किया है। जापान की संसद (डायट) ने इस बजट को अपनी स्‍वीकृति दे दी है। एशिया टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक अब त‍क पड़ोसी नॉर्थ कोरिया से परमाणु हमले का खतरा महसूस करने वाले जापान को चीनी ड्रैगन जापान सागर में डराने लगा है।

चीन के आक्रामक तेवर से निपटने के लिए जापान अमेरिका F-35B स्‍टील्‍थ फाइटर जेट खरीद रहा है। यही नहीं जापान चीन के युद्धपोतों से बढ़ते खतरे को देखते हुए हाइपरसोनिक स्‍पीड से मार करने में सक्षम एंटी शिप मिसाइल बना रहा है। जापान अपने हेलिकॉप्‍टर कैरियर को एयरक्राफ्ट कैरियर में बदल रहा है ताकि उस पर F-35B विमान आसानी से उतर सकें। जापान की इस तैयारी पर एक जापानी अधिकारी ने कहा, ‘हमारी मुख्‍य चिंता उत्‍तर कोरिया नहीं बल्कि चीन है।’ जापान जिस हाइपरसोनिक मिसाइल को बना रहा है, उसे गेम चेंजर करार दिया जा रहा है। वर्ष 2026 में जब यह मिसाइल सेवा में आ जाएगी तो जापान चौथा ऐसा देश होगा जिसके पास हाइपरसोनिक मिसाइल होगी।

कोरोना संकट को लेकर चीन और अमेरिका में तनातनी बढ़ती जा रही है। चीन ने ताइवान के पास 70 दिनों तक चलने वाला युद्धाभ्‍यास शुरू किया है, वहीं अमेरिका ने भी अपने युद्धपोत साउथ चाइना सी में भेजे हैं। इससे दोनों महाशक्तियों के बीच सशस्‍त्र संघर्ष की आशंका मंडराने लगी है। कई विश्‍लेषकों का मानना है कि चीन ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी सेना का बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण किया है जिससे दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर, जापान सागर में शक्ति का संतुलन बदल गया है। चीनी सेना के मुकाबले अब जापान भी बहुत तेजी से अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। अमेरिका जापान को बड़े पैमाने पर ऐसे हथियार और उन्‍नत तकनीकें मुहैया करा रहा है जो उसने चीन के खिलाफ बनाए हैं।

चीन और जापान के बीच सेनकाकू द्वीप समूह को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। चीन के अपने उत्‍तरी-पूर्वी इलाके में पिछले दिनों युद्धाभ्‍यास के बाद जापान की सेना ने भी मियाकोजियमा द्वीप पर सतह से हवा और समुद्र में युद्धपोतों को तबाह करने वाली मिसाइलों को तैनात किया है। यही नहीं जापान की सेना ने 340 सैनिकों को भी तैनात किया है। जेन्‍स डिफेंस वीकली की रिपोर्ट के मुताबिक विवादित पूर्वी चीन सागर में स्थित सेनकाकू/दिआओयू द्वीप समूह को लेकर बढ़ती चीन की आक्रामकता को देखते हुए जापान ने यह मिसाइलें तैनात की हैं।

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.