नेपाल: 'भारत संग हो कूटनीतिक समाधान'

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काठमांडू
नेपाल में राजनीतिक विश्लेषकों ने भारत के साथ लिपुलेख और कालापानी सीमा विवाद के कूटनीतिक समाधान का समर्थन किया है और इस मुद्दे पर भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की हालिया टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। लिपुलेख दर्रा कालापानी के निकट सबसे पश्चिमी क्षेत्र है, जो नेपाल और भारत के बीच एक विवादित सीमा है। भारत और नेपाल दोनों ही कालापानी के अपना अभिन्न हिस्सा होने का दावा करते हैं। भारत इसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा मानता है, जबकि नेपाल इसे धारचुला जिले का हिस्सा बताता है।

‘किसी के इशारे पर आपत्ति’
जनरल नरवणे ने शुक्रवार को कहा था कि यह विश्वास करने के कारण हैं कि भारत द्वारा लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड में धारचुला से जोड़ने वाली भारत की नई सड़क पर नेपाल ने ‘किसी और के’ इशारे पर आपत्ति जताई। उनका इशारा इस मामले में चीन की संदिग्ध भूमिका को लेकर था। नेपाल के पूर्व विदेश सचिव मधुरमन आचार्य ने कहा, ‘ध्यान भटकाना और आरोप किसी अन्य देश पर लगा देना आसान है, जबकि सच्चाई यह है कि यह सड़क महाकाली नदी को पार करती है और नेपाल की सीमा में प्रवेश करती है।’

‘उग्र कूटनीति की जरूरत’
वरिष्ठ पत्रकार कनकमणि दीक्षित ने नेपाल सरकार को सलाह दी कि वह भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिये औपचारिक व अनौपचारिक कूटनीति का इस्तेमाल करें। उन्होंने ट्वीट किया, ‘नेपाल और भारत के रिश्ते कई क्षेत्रों में हैं, ऐसे में पर्दे के पीछे उग्र कूटनीति अपनाने की जरूरत है, इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह औपचारिक हो, अनौपचारिक या फिर कोई और।’ दीक्षित ने दावा किया, ‘नेपाल के लोगों को संदेह है कि नेपाल की अनदेखी कर लिपुलेख दर्रे को भारत को खोलने देने में चीन की मिलीभगत है।’

राष्ट्रपति ने कहा था- ‘लिपुलेख हमारा’
राजनीतिक विश्लेषक गेजा शर्मा वागले ने जनरल नरवणे की टिप्पणी को निंदनीय करार दिया। उन्होंने कहा, ‘ जनरल नरवणे की निंदनीय और गैरकूटनीतिक टिप्पणी भारत सरकार के चरित्र और मनोदशा के साथ ही जारी सीमा विवाद को लेकर भारत के अहंकारी रुख को दर्शाती है।’ नेपाली संसद को संबोधित करते हुए शुक्रवार को राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने कहा कि ‘लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी नेपाल के भूभाग में आते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख हमारे हैं और मौजूदा मुद्दों को सुलझाने के लिये उचित कूटनीतिक उपाय अपनाए जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों को दर्शाते हुए एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया जाएगा।

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