पंपोर आंतकी हमला: शहीद शशिकांत पांडेय का पार्थिव शरीर रांची पहुंचा, घर में मातम का माहौल

पंपोर आंतकी हमला: शहीद शशिकांत पांडेय का पार्थिव शरीर रांची पहुंचा, घर में मातम का माहौल
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रांची : आंतकी हमले में शहीद हुए जवान शशिकांत पांडेय (30 वर्ष) का पार्थिव शरीर रविवार को गो एयरवेज के विमान से रांची लाया गया. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिला के पंपोर में सेना के काफिले पर शनिवार को हमला किया गया था, जिसमें वह शहीद हो गये थे. एयरपोर्ट पर शहीद के सम्मान में राष्ट्रीय युवा शक्ति संगठन द्वारा जयकारा लगाया गया व दीप जलाकर श्रद्धांजलि दी गयी. पार्थिव शरीर लेने के लिए शहीद के बड़े भाई श्रीकांत पांडेय के दोस्त मनीष कुमार तिवारी व फिरोज अंसारी आये थे. दूसरी ओर एयरपोर्ट पर जिला प्रशासन की ओर कोई भी बड़ा अधिकारी नहीं पहुंचा था.
जैसे ही पार्थिव शरीर एयरपोर्ट से बाहर निकला, माहौल गमगीन हो गया. उपस्थित लोगों ने भारत माता की जय, शशिकांत पांडेय अमर रहे का नारा लगाया. एयरपोर्ट पर झरिया के सीओ केदारनाथ सिंह, रांची जिला प्रशासन की ओर से तपन चक्रवर्ती, सेना के अधिकारी व राष्ट्रीय युवा शक्ति के अध्यक्ष उत्तम यादव, दिलीप गुप्ता, राजेश करण, माेनू विश्वकर्मा आदि उपस्थित थे.
नामकुम कैंट ले जाया गया पार्थिव शरीर : शहीद जवान का पार्थिव शरीर सेना की सुसज्जित गाड़ी में नामकुम कैंट ले  जाया गया. सोमवार की सुबह श्रद्धांजलि के बाद शव धनबाद ले जाया जायेगा. राज्यपाल दौपदी मुरमू शहीद जवान को श्रद्धांजलि देंगी. शशिकांत पांडेय तीन दिसंबर को ही धनबाद गये थे. वहां जीजा के छोटे भाई की शादी में शामिल हुए थे. शहीद के पिता का नाम राजेश्वर पांडेय व मां का नाम ललिता देवी है. बड़ी बहन रिंकू व छोटी बहन सिंधु है.  बड़े भाई श्रीकांत पांडेय  सीआरपीएफ में कार्यरत हैं.
इधर, धनबाद में लोगों ने निकाला जुलूस
रांची/जोड़ापोखर. लोगों ने जियलगोरा में शहीद की याद में जुलूस निकाला और सुबह करीब एक घंटे के लिए सड़क जाम कर दी. उसके बाद पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारेबाजी करने लगे. लोगों के समझाने बुझाने पर सड़क जाम हटा ली. उसके बाद सभी ने तिरंगा झंडा व शहीद का पोस्टर लेकर भ्रमण किया. जियलगोरा से डिगवाडीह होते हुए फूसबंगला, झरिया ऊपर कुल्ही होते हुए पुन: जियलगोरा की ओर चले गये. बरारी मोड़ पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया.
मां बेहोश हो रही थी : अपने छोटे पुत्र शशिकांत पांडेय के शहीद होने की खबर सुनते ही मां ललिता देवी रो पड़ी. वह रोते-रोते बार बार बेहोश हो रही थी. जिसे आसपास के लोग पानी छिड़क कर होश में लाते. उन्होंने कहा कि बेटे का शादी नहीं कर सकी. अफसोस रहेगा. बड़ी तमन्ना थी कि धूमधाम से ‍उसकी शादी करूं. वह मेरी चिंता करता था. हर वक्त फोन पर मुझ से बात करता रहता था. लगता था जैसे वही घर का गार्जियन है. बड़े पुत्र श्रीकांत पांडेय मां को ढांढस बंधा रहे थे.
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