NPR, NRC एक सिक्के के 2 पहलू: चिदंबरम

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नई दिल्ली
पूर्व गृह मंत्री ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि एनआरसी, सीएए और एनपीआर एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने कहा कि असम में एनआरसी के कारण 19 लाख से अधिक लोगों की नागरिकता चली गई और सरकार को अभी भी लगता है कि कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने साथ कहा कि कांग्रेस सरकार मे एनपीआर लाया गया था, लेकिन वह जनगणना के लिए था, लेकिन मौजदा सरकार इस मुद्दे पर आगे बढ़ती जा रही है। उन्होंने इसके साथ ही कांग्रेस पर प्रदर्शनकारियों को उकसाने के लग रहे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे अपनी मर्जी से हमारे समर्थन में सड़क पर उतर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘एनपीआर, एनआरसी और सीएए एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एनपीआर स्पष्ट रूप से एनआरसी से जुड़ा हुआ है। गृह मंत्री क्यों नहीं कहते कि हम एनपीआर कर रहे हैं, हम एनआरसी नहीं करेंगे? उन्हें स्पष्ट रूप से कहना चाहिए कि हम एनआरसी नहीं ला रहे। हमने (कांग्रेस) सिर्फ एनपीआर किया था, इसने सेंसस में मदद की। हम सेंसस तक ही रुक गए थे।’

चिदंबरम ने आगे कहा, ‘बीजेपी को यह कहना चाहिए कि हम एनआरसी नहीं कर रहे क्योंकि हमें असम में एनआरसी का बुरा अनुभव मिला है। जब हमने 2010 में एनपीआर किया, तब असम में एनआरसी नहीं थी। 19 लाख लोगों को राष्ट्रविहीन घोषित कर दिया गया, इससे ज्यादा कड़वा अनुभव नहीं हो सकता।’ चिदंबरम ने कहा कि 19 लाख से अधिक लोग राष्ट्रविहीन घोषित कर दिए गए हैं और आप कह रहे हैं कि कोई दिक्कत नहीं है।

उल्लेखनीय है कि देशभर में एनपीआर,एनआरसी और सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है। विभिन्न राजनीतिक दल भी इस प्रदर्शन में उतर गए हैं। कई जगह हिंसक प्रदर्शन भी हुए हैं और सत्तारूढ़ बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह सीएए के मुद्दे पर जनता को गुमराह कर रही है और अफवाह फैला रही है। बीजेपी का कहना है कि सीएए से किसी भी देशवासी की नागरिकता नहीं जाएगी, इसके जरिये पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई और सिख शरणार्थियों को नागरिकता दी जा रही है जो अपने देश में प्रताड़ित हुए हैं।

उधर, बीजेपी के आरोपों पर चिदंबरम ने कहा, ‘हम सीएए के खिलाफ प्रदर्शन को नहीं उकसा रहे। हम सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं औऱ हमें इसपर गर्व है। वे हमें उकसाने वाला क्यों कह रहे हैं? हम अपने राय का प्रचार कर रहे हैं और अगर महिलाएं, युवा और छात्र हमारे समर्थन में सड़क पर उतर रही हैं तो इसमें क्या गलत है।’

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