यूपी हिंसा में शामिल PFI के 25 सदस्‍य अरेस्ट

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लखनऊ
उत्‍तर प्रदेश में अब तक (पीएफआई) से जुड़े 25 व्यक्तियों को विभिन्‍न आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह जानकारी बुधवार को राज्‍य के आईजी (लॉ ऐंड ऑर्डर), प्रवीण कुमार ने दी। () के विरोध के नाम पर हुई हिंसा में के सदस्‍यों के शामिल होने की जानकारी के बाद इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठ रही है ।

इससे पहले पीएफआई की राजनीतिक शाखा सोशल डेमॉक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के प्रदेश अध्यक्ष नूर हसन को पुलिस अरेस्‍ट कर चुकी है। लखनऊ पुलिस ने पीएफआई के प्रदेश संयोजक वसीम अहमद समेत अन्य पदाधिकारियों को भी शहर में बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी करने के मामले में गिरफ्तार किया था।

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बैन का प्रस्‍ताव गृह विभाग को
इसके बाद डीजीपी कार्यालय ने पीएफआई का ब्योरा जुटाना शुरू किया था। ब्योरे का अध्ययन कर डीजीपी ओपी सिंह ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव तैयार कर गृह विभाग को भेजा था। डीजीपी मुख्यालय ने अपनी सिफारिश में पीएफआई के बारे में लिखा है कि इसके ज्यादातर सदस्य इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ इंडिया () से जुड़े रहे हैं। संगठन के लोगों के पास से पूरे राज्य में आपत्तिजनक साहित्य और सामग्री बरामद की गई है। यूपी की हिंसा में पकड़े गए कई लोगों के संबंध पीएफआई से निकले हैं।

मोहसिन रजा का दावा- पीएफआई के पीछे आईएसआई
यूपी सरकार के तमाम मंत्री आरोप लगाते हैं कि पीएफआई के अधिकतर सदस्‍य प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्‍य रह चुके हैं। बुधवार को राज्‍य के मंत्री मोहसिन रजा ने बयान दिया, ‘जो लोग सिमी से जुड़े थे, उस पर प्रतिबंध के बाद एक नया संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया बना। वे युवाओं को कट्टरपंथी बनाना चाहते हैं और उन्हें आतंकवाद की ओर धकेलना चाहते हैं।’ मोहसिन रजा ने पीएफआई के पीछे आईएसआई का हाथ होने का भी दावा किया है। इससे पहले यूपी के डेप्‍युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था, ‘पीएफआई का हाथ हिंसा की तमाम घटनाओं में सामने आया है और इस संगठन में सिमी के लोग ही शामिल हैं। ऐसे में अगर सिमी भी रूप में उभरने का प्रयास करेगा तो उसे कुचल दिया जाएगा।’

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पीएफआई पर पहले भी लगते रहे हैं आरोप
पीएफआई खुद को एक गैर सरकारी संगठन बताता है। इस संगठन पर कई गैर-कानून गतिविधियों में पहले भी शामिल रहने का आरोप है। गृह मंत्रालय ने 2017 में कहा था कि इस संगठन के लोगों के संबंध जिहादी आतंकियों से हैं, साथ ही इस पर इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने का आरोप है। पीएफआई ने खुद पर लगे इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था, लेकिन अकसर इस संगठन को लेकर विवाद होता रहा है।

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