आर्मी को चाहिए फौजियों के लिए 70,450 घर

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नई दिल्ली
इंडियन आर्मी के पास दिल्ली सहित तीन बड़े शहरों में फौजियों के लिए घरों की कमी है। करीब 70450 मैरिड अकॉमडेशन की कमी पूरी करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है और आर्मी को उम्मीद है कि इस नए प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिल सकती है।

क्या है प्रस्ताव आर्मी ने इस नए प्रस्ताव का आइडिया नैशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) के न्यू मोतीबाग मॉडल से लिया है। दिल्ली के न्यू मोतीबाग इलाके में एनबीसीसी ने जमीन का कुछ हिस्सा नीलाम कर उस रकम से केंद्र सरकार के अधिकारियों के लिए फ्लैट बनाए हैं। अब आर्मी ने भी फौजियों (सभी रैंक के ) के लिए मैरिड अकॉमडेशन की कमी पूरी करने के लिए इसी मॉडल का प्रस्ताव दिया है। इसमें एनबीसीसी या कोई दूसरी एजेंसी आर्मी के पास उपलब्ध जमीन में से कुछ हिस्सा बेचकर इंफ्रास्ट्रक्चर का खर्चा निकाल सकती है। दिल्ली सहित तीन शहरों में 70450 फ्लैट बनाने में करीब 23450 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान लगाया गया है। इसमें जमीन की कीमत नहीं जोड़ी गई है। इंडियन आर्मी सूत्रों के मुताबिक आर्मी की रीस्ट्रक्चरिंग की जो प्रक्रिया चल रही है उसमें दिल्ली में इतनी डिफेंस लैंड की भी बचत हो रही है जिससे फंड क्रिएट कर 3900 घर दिल्ली में बनाए जा सकते हैं।

1245 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण
इससे पहले डिफेंस लैंड (जमीन) के बदले किसी दूसरी जगह पर जमीन लेने का प्रस्ताव था। आर्मी सूत्रों के मुताबिक अब तक करीब 1560 एकड़ डिफेंस लैंड अलग अलग राज्य सरकारों को उनके इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट के लिए ट्रांसफर की गई है और 750 एकड़ जमीन और राज्य सरकारों ने मांगी है। इसमें ज्यादातर जमीन मेट्रो सिटी या बड़े शहरों की प्राइम लोकेशन में हैं। राज्य सरकारों ने डिफेंस लैंड के बदले उतनी ही कीमत की जमीन दूसरी जगह देने का प्रस्ताव दिया था जो कई मीटिंग्स के बाद भी अब तक सिरे नहीं चढ़ पाया है। वजह यह है कि जहां जमीन की जरूरत है वहां जमीन नहीं मिल पा रही है। इसलिए अब फौजियों के घरों की कमी पूरी करने के लिए जमीन के बदले उस कीमत का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाकर देने का प्रस्ताव दिया गया है। आर्मी सूत्रों के मुताबिक देश भर में करीब 1245 एकड़ डिफेंस लैंड में अलग अलग राज्य सरकारों की एजेंसियों ने अतिक्रमण किया है। यह प्रस्ताव दिया गया है कि इस जमीन की कीमत तय कर इसका रक्षा मंत्रालय के तहत एक नॉन लेप्सेबल फंड बनाया जाए जिसका इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करने के लिए किया जा सके।

Source: National

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