मध्य प्रदेश: अब तक सिर्फ एक 'पीड़ित', ठंडा पड़ता हनी ट्रैप केस

मध्य प्रदेश: अब तक सिर्फ एक 'पीड़ित', ठंडा पड़ता हनी ट्रैप केस
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भोपाल
मध्य प्रदेश के हनी ट्रैप मामले ने जितनी तेजी से तूल पकड़ा था, उतनी ही तेजी से यह ठंडे बस्ते में जा चुका है। दरअसल, इस मामले में इंदौर सिविक इंजिनियर हरभजन सिंह को छोड़कर किसी ने भी शिकायत दर्ज नहीं की है। सिंह अकेले ऐसे पीड़ित हैं जिन्होंने धन-उगाही की शिकायत दर्ज की थी, जिसके बाद 5 महिलाओं समेत 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था।

कई लोगों को समन
हालांकि, सिंह के बाद कोई समाज में छवि और पहचान जाहिर होने के डर के चलते सामने नहीं आया है। सूत्रों ने बताया है कि स्पेशल डीजी राजेंद्र कुमार के नेतृत्व में विशेष जांच टीम ने कुछ ऐसे लोगों का पता लगाया है जो आरोपी महिलाओं के संपर्क में थे और उनकी जांच की जा रही है। ज्यादातर लोग व्यापारी हैं। सूत्रों के मुताबिक टीम ने इस गिरोह ने जिन लोगों ने पैसे वसूले थे उनके बयान दर्ज कराने के लिए समन भेजे गए हैं। हालांकि, ऐसे लोग जो सरकारी अधिकारी हैं या नेता, अभी वे इस घेरे से बाहर हैं।

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बलि का बकरा बने सिंह?
मुख्यमंत्री को भेजे गए डोजियर में करीब 10 आईएएस ऑफिसरों के लिंक की बात बताई गई है। अभी यह रिपोर्ट देखने का अधिकार सिर्फ सीएम, डीजीपी और एसआईटी को मिला है। फिलहाल इस केस में कार्रवाई वहीं पर अटकी है जहां इंदौर पुलिस ने छोड़ी थी। हरभजन सिंह की पलसिया पुलिस स्टेशन में शिकायत पर 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। हालांकि, सिंह की शिकायत पर कई राजनीतिक और नौकरशाही गलियारों में कई तरह की बातें की जा रही हैं। कई सवाल हैं कि क्या वह पुलिस के पास अपनी मर्जी से गए या किसी और ने उनसे ऐसा करवाया। कई लोगों का मानना है कि सिंह को बलि का बकरा बनाया गया।

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अब मीडिया से दूरी
एक अधिकारी ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर बताया है, ‘हमने सुना है कि राज्य पुलिस की एक स्पेशल यूनिट को किसी की फोन पर बातचीत सुनते हुए हनी ट्रैप के बारे में पता चला। पता नहीं यह सच है या नहीं लेकिन कइयों को इससे सबक मिला होगा कि मुफ्त की किसी चीज में उलझने से बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है।’ एसआईटी चीफ कुमार ने न सिर्फ इस मामले पर मीडिया को जवाब देना बंद कर दिया है बल्कि अधिकारियों से भी जांच की गोपनीयता बरकरार रखने को कहा है।

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बड़ा है यह तालाब
इस केस में सबसे बड़ी चुनौती 4000 से भी ज्यादा विडियो, सेक्स चैट और तस्वीरों को सेफ रखने की है जो राज्य के कई प्रभावशाली लोगों के हैं। अधिकारियों ने यह भी संकेत दिए हैं कि गिरोह से इस तरह की सामग्री हासिल करना अपने आप में एक बड़ा काम है। एक अधिकारी ने बताया है, ‘एक हार्ड डिस्क दीवार के अंदर सील करके रखी गई थी। पता नहीं ऐसी और कितनी हैं।’

Source: Madhyapradesh

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