प्रशासन को जवाबदेही बनाना सूचना का अधिकार का मूल उद्देश्य-मुख्य सूचना आयुक्त राउत

प्रशासन को जवाबदेही बनाना सूचना का अधिकार का मूल उद्देश्य-मुख्य सूचना आयुक्त राउत
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सरकारी गतिविधियों को पूर्णतः पारदर्शी बनाना- पवार

अपने निर्णय को समय सीमा में कार्यान्वित कराना प्रथम अपीलीय अधिकारी का दायित्व

रायपुर, राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त एम के राउत ने आज जिला कवर्धां के जिला पंचायत के सभाकक्ष में सूचना का अधिकार विषय पर आयोजित जिला स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेही बनाना सूचना का अधिकार का मूल उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि ज्ञान बाँटने से ही ज्ञान बढता है। द्वितीय अपील में प्रकरण आने के बाद आवेदक को जानकारी उपलब्ध नही कराए। आयोग के निर्णय का पालन करतें हुए जवाब अवश्य दें।
मुख्य सूचना आयुक्त राउत ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है। नागरिकों के द्वारा शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों की जानकारी मांगने पर निर्धारित समय सीमा में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने का दायित्व हमारा है। शासकीय कार्यों, दस्तावेजों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित करे, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े। इस अवसर पर राज्य सूचना आयोग के सचिव संजय दीवान, कलेक्टर अवनीश कुमार शरण, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कुंदन कुमार, वन मंडलाधिकारी दिलराज प्रभाकर, उप सचिव राज्य सूचना आयोग व्ही के आदिले, संयुक्त संचालक धनंजय राठौर भी उपस्थित थे।

राज्य सूचना आयुक्त मोहनराव पवार ने कहा कि सरकारी गतिविधियों को पूर्णतः पारदर्शी बनाना है। आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को निःशुल्क जानकारी देनी होगी। श्री पवार ने कहा कि सूचना आयोग पेनाल्टी लगाने वाली संस्था नहीं है, लेकिन जानबूझकर जानकारी नहीं देने अथवा गलती करने पर जनसूचना अधिकारी पर पेनाल्टी लगाना जरूरी हो जाता है, ऐसी स्थिति से जनसूचना अधिकारी को बचना चाहिए।

राज्य सूचना आयुक्त मोहनराव पवार ने कहा कि हर नागरिक को जानने का मौलिक अधिकार है। सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार के कार्यो को पारदर्शी बनाना है। इसमें पहली कड़ी जनसूचना अधिकारी हैं। ये अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के मेरूदण्ड हैं। इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े, इससे गलती की संभावना कम होगी। इसमें जानकारी देने की समय-सीमा और शुल्क निर्धारित है, जनसूचना अधिकारी इसका विशेष ध्यान रखें।

राज्य सूचना आयोग के आयुक्त अशोक अग्रवाल ने कार्यशाला में स्पष्ट किया कि जनसूचना अधिकारी समय सीमा में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने में असमर्थ है तो आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपील कर सकता है और प्रथम अपीलीय अधिकारी निर्णय देने के बाद उसे समय सीमा में कार्यान्वित कराना प्रथम अपीलीय अधिकारी का दायित्व है। उन्होंने जनसूचना अधिकारियों से कहा कि जब आवेदक सूचना का अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत करता है, तो आवेदन पत्र को ध्यान से पढ़े, आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है, तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है। इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटोकॉपी उपलब्ध कराई जाए। श्री अग्रवाल ने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जनसूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए।

उप सचिव व्ही के आदिले ने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को 5 दिवस के भीतर आवेदन पत्र को अंतरित किया जाए। उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए ही सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया गया है। जन सूचना अधिकारी अधिनियम के नियमों और उनकी बारीकियों को समझ सकें, इसलिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। सहायक संचालक शिक्षा एम के गुप्ता, दौलत राम कश्यप ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की विस्तृत जानकारी दी और प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रदर्शित किया।

श्री आदिले ने कहा कि शुल्क के रुप में संलग्न स्टाम्प छत्तीसगढ़ राज्य का है तभी स्वीकार करें अन्य राज्य के होने पर अमान्य करते हुए वापस कर दें। कार्यशाला में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तद्वय और उप सचिव राज्य सूचना आयोग ने जनसूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारी के प्रश्नों और शंकाओं का समाधान किया। एक दिवसीय कार्यशाला में सभी विभाग के जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी, जनपद पंचायत (मुख्य कार्यपालन अधिकारी), जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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