केरल बाढ़ राहत के लिए कुछ भी तय नहीं हुआ है : यूएई

केरल बाढ़ राहत के लिए कुछ भी तय नहीं हुआ है : यूएई
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्लीर। केरल बाढ़ राहत के लिए विदेशी सहायता स्वीकार करने के मुद्दे पर मचे हंगामे के बीच यूएई दूतावास ने कहा है कि अभी तक उनके देश ने राज्य को अंशदान देने की कोई घोषणा नहीं की है। नई दिल्ली में स्थित दूतावास के एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अधिकृत रूप से बाढ़ प्रभावित केरल के लिए वित्तीय मदद की राशि तय नहीं की है।

भारत में यूएई के राजदूत अहमद अल्बनाम ने वित्तीय मदद का उल्लेख किए बगैर कहा कि उनकी सरकार ने केरल में बाढ़ से प्रभावित लोगों को सहायता मुहैया कराने के लिए केवल एक राष्ट्रीय आपदा समिति गठित की है। दूतावास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यूएई ने अधिकृत रूप से केरल बाढ़ राहत के लिए किसी वित्तीय मदद की घोषणा नहीं की है। हमने भारत को किसी प्रकार की सहायता की पेशकश नहीं की है।’ उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में यूएई अपनी सहायता योजना पेश कर सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा था यूएई ने की है 700 करोड़ देने की पेशकश
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इस सप्ताह के शुरू में कहा था कि यूएई ने केरल को 700 करोड़ की सहायता देने का फैसला लिया है। यूएई में करीब तीन लाख भारतीय कामगार रहते हैं। सरकारी आंकड़े के मुताबिक, इनमें से 80 फीसद केरल के निवासी हैं।

दुबई के प्रधानमंत्री ने ट्वीट में यह कहा था
18 अगस्त को प्रधानमंत्री और दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मक्तौम ने ट्वीट किया था कि उनके देश ने केरल में बाढ़ से प्रभावित लोगों को सहायता देने के लिए एक समिति गठित की है। हर किसी से इस पहल में उदारता पूर्वक योगदान करने का आग्रह किया है।

पिनराई के बयान का विदेश मंत्रालय ने दिया था जवाब
केरल के मुख्यमंत्री के बयान के बाद विदेश मंत्रालय ने साफ किया था कि मौजूदा नीति से तालमेल रखते हुए केंद्र विदेशी सरकार से कोई मदद स्वीकार नहीं करेगा। मंत्रालय ने यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री राहत कोष और मुख्यमंत्री राहत कोष को एनआरआइ (अनिवासी और भारतीय मूल के लोगों) और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से आने वाली मदद का स्वागत किया जाएगा।

सुनामी के बाद नहीं ली थी विदेशी मदद
विदेशी मदद ठुकराते हुए सरकार ने पूर्व की मनमोहन सरकार के फैसले का अनुसरण किया है। 2004 में सुनामी आने के बाद तत्कालीन मनमोहन सरकार ने विदेशी सहायता स्वीकार नहीं की थी।

(साभार : जागरण.कॉम)

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

watchm7j

Leave a Reply

Your email address will not be published.