संस्कृति मंत्री ने किया राजभाषा आयोग के छठवें प्रांतीय सम्मेलन का शुभारंभ
रायपुर : संस्कृति मंत्री श्री दयालदास बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार गंभीरता से पहल कर रही है। हम सबका यह प्रयास है कि इस वर्ष आठवीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी शामिल हो जाए। श्री बघेल ने आज शाम छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के तीन दिवसीय प्रांतीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए।
श्री बघेल ने सम्मेलन को छत्तीसगढ़ी में सम्बोधित करते हुए कहा-छत्तीसगढ़ी एक समृद्ध भाषा है। इसका अपना व्याकरण और अपना शब्द भण्डार है। राज्य सरकार ने वर्ष 2007 में विधेयक लाकर विधानसभा में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिलवाया है। अब केन्द्र के स्तर पर हम सब इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने की पहल कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि आयोग का यह छठवां राज्य स्तरीय सम्मेलन जिला मुख्यालय बेमेतरा के महेश्वरी भवन में आयोजित किया गया है। इसमें प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगभग साढ़े पांच सौ साहित्यकार हिस्सा ले रहे हैं। आयोग ने सम्मेलन को प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार स्वर्गीय डॉ. विमल कुमार पाठक की स्मृतियों पर केन्द्रित करते हुए उन्हें समर्पित किया है।
शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि संस्कृति मंत्री श्री दयालदास बघेल ने आज कई पुस्तकों का विमोचन भी किया, इनका प्रकाशन आयोग द्वारा अथवा आयोग के आर्थिक सहयोग से किया गया है। इनमें डॉ. जे.आर. सोनी और स्वामी नारायण बंजारे द्वारा लिखित ’सतनाम रहस्य’, डॉ. विनय कुमार पाठक और डॉ. नरेश कुमार वर्मा द्वारा लिखित ’लोक व्यवहार और कार्यालयीन छत्तीसगढ़ी’ भी शामिल हैं। श्री बघेल ने छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित एक विशेषांक का भी विमोचन किया, जिसका सम्पादन डॉ. राघवेन्द्र दुबे ने किया है।
आयोग के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक ने स्वागत भाषण में छत्तीसगढ़ को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी और छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के प्रति विशेष रूप से आभार प्रकट किया। डॉ. विनय कुमार पाठक ने अपने उदबोधन में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के विगत दो वर्ष की गतिविधियों और उपलब्धियों की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि राजभाषा आयोग की पहल पर छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग (पीएससी) ने अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं में छत्तीसगढ़ी भाषा ज्ञान को भी शामिल किया है। इससे छत्तीसगढ़ के स्थानीय युवाओं को राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में विभिन्न पदों में चयनित होने का अवसर मिल रहा है। शुभारंभ सत्र में विधायक श्री अवधेश चंदेल , छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सदस्य सर्वश्री सुरजीत नवदीप और गणेश सोनी ’प्रतीक’ सहित कई जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
डॉ. विनय कुमार पाठक ने यह भी बताया कि आयोग ने मंत्रालय (महानदी भवन) में अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कार्यालयीन छत्तीसगढ़ी के उपयोग के लिए विगत दिनों प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया था। उन्होंने बताया कि राजभाषा आयोग की पहल पर पंडित सुन्दरलाल शर्मा (ओपन) विश्वविद्यालय बिलासपुर में छत्तीसगढ़ी भाषा में पीजी डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किया गया है, जिसमें प्रवेश के लिए लगभग 300 छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया।
इतना ही नहीं, बल्कि बिलासपुर विश्वविद्यालय ने छत्तीसगढ़ी भाषा का वैकल्पिक पाठ्यक्रम भी तैयार किया है। तीन दिवसीय सम्मेलन के प्रथम दिवस पर आज रात्रि छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया। प्रांतीय सम्मेलन के दूसरे दिन कल 20 जनवरी को सवेरे 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक डॉ. सत्यभामा आडिल की अध्यक्षता में ’छत्तीसगढ़ी साहित्य म महिला साहित्यकार मन के भूमिका’ विषय पर, दोपहर 12 बजे से दो बजे तक डॉ. विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में ’लोक व्यवहार अउ प्रशासकीय काम-काज म राजभाषा छत्तीसगढ़ी’ तथा अपरान्ह तीन बजे से शाम पांच बजे तक पंडित दानेश्वर शर्मा की अध्यक्षता में ’मंचीय काव्य म छत्तीसगढ़ी के प्रभाव अउ महत्व’ विषय पर चर्चा होगी।
शाम पांच बजे से सात बजे तक पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी की अध्यक्षता में ’डॉ. विमल कुमार पाठक के व्यक्तित्व, कृतित्व और योगदान’ पर विचार-विमर्श का सत्र होगा। इन सभी सत्रों में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आए साहित्यकार और प्रबुद्धजन अपने विचार व्यक्त करेंगे।
सम्मेलन के समापन दिवस पर 21 जनवरी को सवेरे 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक ’छत्तीसगढ़ी म अनुवाद परंपरा, प्रयोग अउ महत्व’ विषय पर डॉ. परदेशी राम वर्मा की अध्यक्षता में परिचर्चा होगी।
दोपहर 12 बजे से दो बजे तक डॉ. जे.आर. सोनी की अध्यक्षता में खुला अधिवेशन आयोजित किया जाएगा। सम्मेलन में मां भद्रकाली बेमेतरा धाम सहित वरिष्ठ साहित्यकार स्वर्गीय डॉ. विमल कुमार पाठक, स्वर्गीय श्री गर्जन सिंह दुबे, स्वर्गीय डॉ. शत्रुघन प्रसाद पाण्डेय और स्वर्गीय श्री लव सिंह दीक्षित के नाम पर स्वागत द्वार बनाए गए हैं।