झारखंड : आदिवासी संस्कृति ही झारखंड की पहचान

झारखंड : आदिवासी संस्कृति ही झारखंड की पहचान
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साहिबगंज : साहिबगंज कॉलेज में रविवार को आदिवासी कल्याण छात्रावास द्वारा आदिवासी सोहराय पर्व समारोह धूमधाम से मनाया गया. इस कार्यक्रम में राजनीतिक बंदिशें तोड़कर एक मंच पर पूर्व सीएम सह झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी, भाजपा के विधायक ताला मरांडी और पूर्व मंत्री लोबिन हेंब्रम आये.

समारोह में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आदिवासी संस्कृति ही झारखंड की पहचान है. भाई-बहन के प्यार का अटूट त्योहार है सोहराय. बाहा जैसा पर्व ही संतालों की पहचान है. हमें हमारी पहचान और प्रतीक के प्रति श्रद्धा रखनी होगी. हमें कुछ नया, कुछ अच्छा और कुछ बड़ा काम करना होगा. तभी विकास के साथ झारखंड आगे बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि सोहराय संतालों का सबसे बड़ा त्योहार है.

शिक्षा के माध्यम से खुद का व समाज का करें विकास : ताला
बोरियो विधायक ताला मरांडी ने कहा कि सोहराय आदिवासी समाज में धूमधाम से आदिवासी नृत्य के साथ मनाये जाने वाले पर्व सोहराय खुशियों का त्योहार है. जाहेर थान और मांझी थान जैसे धार्मिक स्थल और सोहराय एवं बाहा जैसे पर्व ही संथालों की पहचान है.
उन्होंने छात्र-छात्राओं से अपील की कि वह शिक्षा के माध्यम से खुद का और समाज का विकास करें. छात्रों से जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ने की अपील की. कहा कि मंजिल दूर नहीं आपलोग देश के भविष्य हैं. पढ़-लिख कर अच्छा मुकाम हासिल कर झारखंड प्रदेश व देश का नाम रोशन करें.

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