2G स्पेक्ट्रम घोटाला: राजा-कनिमोझी समेत सभी आरोपी बरी
नई दिल्ली : २जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने मुख्य आरोपी पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और DMK सांसद कनिमोझी को राहत दी है। अदालत ने इस मामले से जुड़े सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने माना कि इस मामले को साबित करने के लिए जांच एजेंसी के पास पर्याप्त सूबूत नहीं हैं। वहीं सीबीआई इस मामले में कोर्ट के फैसले को चुनौती देगी।
देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सीबीआई ने 2011 में पहली गिरफ्तारी की थी, इसके 6 साल बाद आज इस मामले में फैसला आया।सीबीआई अदालत ने अक्टूबर 2011 में भारतीय दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने व इस्तेमाल करने, सरकारी पद के दुरुपयोग, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धाराओं में आरोप तय किए थे। पेश मामले में एनजीओ टेलीकॉम वॉचडॉग ने लूप टेलीकॉम को स्पेक्ट्रम आवंटन में धांधली का आरोप लगाते हुये चार मई 2009 को केंद्रीय सतर्कता आयोग को शिकायत दी थी।
इसके बाद अरुण अग्रवाल ने 19 मई 2009 को आयोग में शिकायत देकर स्वान टेलीकॉम को स्पेक्ट्रम आवंटन में धांधली का आरोप लगाया था। इन शिकायतों पर सतर्कता आयोग ने सीबीआई को जांच करने का निर्देश दिया था। सीबीआई ने प्रारंभिक जांच के बाद दूरसंचार विभाग के अज्ञात अधिकारियों, कारोबारियों, टेलीकॉम कंपनियों और अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता व भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी।
आपको बता दें कि देश का सबसे बड़ा और चर्चित घोटला यूपीए 2 के कार्यकाल के दौरान हुआ था। जिसने कांग्रेस सरकार के लिए बड़ी परेशानियां खड़ी कर दी थीं। दरअसल 2010 में CAG की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल उठाये गए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक इससे सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था । जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के लिए एक विशेष अदालत बनाने के लिए कहा था। इस मामले में देश के कई बड़े नाम शामिल हैं।
इस केस में एस्सार ग्रुप के निदेशक विकास सरफ, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान, उनके पति आई पी खेतान और एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रविकांत रुइया, अंशुमान रुइया भी आरोपी थे।
(साभार : अमर उजाला)