झारखंड में स्वास्थ्य और प्राथमिक शिक्षा की स्थिति बदतर : नीति आयोग
नयी दिल्ली : नीति आयोग के एक प्रजेंटेशन के मुताबिक झारखंड में बच्चों के स्वास्थ्य, बच्चाें में कुपाेषण, प्राथमिक शिक्षा, डॉक्टरों की उपलब्धता और गांवों में बिजली पहुंचाने की स्थिति बदतर है. नीति आयोग ने यह प्रजेंटेशन वित्तीय मामलों की संसदीय समिति के सामने शुक्रवार को प्रस्तुत किया. प्रजेंटेशन के मुताबिक देश के पिछड़े 115 जिलों में झारखंड के 19 जिले शामिल हैं.
नीति आयोग झारखंड समेत तीन खराब प्रदर्शन करनेवाले राज्यों की स्थिति में सुधार के लिए एक अलग रणनीति बना रहा है. उल्लेखनीय है कि नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं और उनकी देखरेख में ही रणनीति तैयार की जाएगी. यह प्रजेंटेशन नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी निदेशक अमिताभ कांत ने दिया. इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व कानून मंत्री वीरप्पा मोइली, पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी आदि सदस्य मौजूद थे.
प्रजेंटेशन के मुताबिक झारखंड में 100 में से 47 से अधिक बच्चे कुपोषित हैं. कुपोषित बच्चों के मामले में झारखंड की स्थिति बिहार से भी खराब है. इसी तरह कुपोषण के कारण बच्चों का विकास नहीं होने के मामले में भी झारखंड देश के उन तीन राज्यों में शामिल है, जहां की हालत बहुत ही खराब है. जनसंख्या के अनुपात में डॉक्टराें के घनत्व की स्थिति में भी झारखंड की हालत खराब है. रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड के मरीज भगवान भरोसे हैं.
नीति आयोग ने एक स्लाइड में बताया है कि कक्षा पांच के छात्र, जो कक्षा दो की अंग्रेजी पढ़ या समझ पाते हैं, इस मामले में झारखंड के बच्चों की स्थिति भी ठीक नहीं कही जा सकती है. तीन खराब राज्यों में झारखंड भी शामिल है. गांवों के घरों में बिजली पहुंचाने के मामले में झारखंड का पिछड़ापन इस प्रजेंटेशन में खुल कर सामने आ गया. नीचे के तीन राज्यों में पहले नंबर पर बिहार, दूसरे नंबर पर नगालैंड और तीसरे नंबर पर झारखंड है.
नीति आयोग के सीइओ ने प्रजेंटेशन में बताया कि देश के िपछड़े जिलों की हालत में सुधार लाने के लिए नयी रणनीति तैयार की जा रही है. सूची तैयार कर ली गयी है. इन 115 जिलों में झारखंड के 19 जिले हैं.
(साभार : प्रभात खबर)