जिला अस्पतालों को आदर्श बनायें : शिवराज

जिला अस्पतालों को आदर्श बनायें  : शिवराज
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भोपाल :मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जहाँ सभी शासकीय जिला चिकित्सालयों में डायलिसिस के साथ साथ सभी पैथालॉजी जाँच की भी नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। इसी प्रकार प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के द्वितीय एवं तृतीय त्रैमास में गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाएँ देने में देश में सबसे आगे है।

यह जानकारी आज यहाँ मंत्रालय में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभागों की समीक्षा बैठक में दी गई। मुख्यमंत्री ने विस्तार से प्रमुख योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने सभी जिला अस्पतालों को आदर्श अस्पताल के रूप में स्थापित करने के लिये सभी संभव प्रयास करने के निर्देश दिये।

बैठक में बताया गया कि सभी जिलों में उपलब्ध 41 हजार चिकित्सा उपकरणों के संचालन, प्रबंधन और रख-रखाव के लिये विशेष कदम उठाये गये हैं। उपकरणों के संचालन की शिकायतें दर्ज करवाने की व्यवस्था की गई ताकि उन्हें तत्काल सुधारा जा सके।

नि:शुल्क कैंसर कीमोथैरेपी योजना के अंतर्गत उज्जैन जिला चिकित्सालय में पैलिएटिव केयर सेंटर शुरू किया जा रहा है। सीटी स्केन सुविधा के लिये 19 जिले तय किये गये हैं। इनमें 26 जनवरी 2018 तक सीटी स्केन सुविधा उपलब्ध करवा दी जायेगी।

लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करने और गंभीर बीमारी का पता चलने पर उनके विशेषज्ञ इलाज करवाने के लिये शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वास्थ्य शिविर योजना में 7 जनवरी से 11 फरवरी 2018 तक सभी जिलों में शिविर आयोजित किये जायेंगे। इस साल 15 जनवरी से 27 फरवरी 2017 तक आयोजित शिविरों में 50 हजार से ज्यादा लोगों का परीक्षण किया गया और गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगियों की नि:शुल्क सर्जरी कराई गयी। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में नौ लाख से ज्यादा गर्भवती महिलाओं का परीक्षण किया गया।

महिला स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन फरवरी – मार्च 2018 में किया जायेगा। इस साल 20 लाख से ज्यादा महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। सघन मिशन इंद्रधनुष में शामिल 13 जिलों के 2 लाख 34 हजार बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है। बच्चों की सूची बनाने का काम चल रहा है। यह भी बताया गया कि समय पर रोकथाम करने के उपायों के चलते मौसमी बीमारियों का फैलाव कम रहा। मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों पर नियंत्रण रहा और इनका प्रकोप पिछले वर्ष की तुलना में कम रहा है।

मुख्यमंत्री ने चिकित्सा शिक्षा विभाग की भविष्य की कार्य-योजनाओं की समीक्षा करते हुए नये मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य समय पर पूरा करने और उनमें चिकित्सीय एवं पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और उपकरणों की व्यवस्था करने के निर्देश दिये। उन्होंने चिकित्सकों के लिये व्यावहारिक सेवा शर्तें बनाने के निर्देश दिये।

बैठक में बताया गया कि दुर्गम क्षेत्रों में स्त्री रोग, निश्चेतना तथा शिशु रोग विशेषज्ञों की सेवाएँ देने के प्रयास किये जा रहे हैं। नये मेडिकल कॉलेजों में शैक्षणिक फैकल्टी की भर्ती प्रक्रिया जल्दी ही शुरू की जायेगी। मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों को आकर्षित करने के लिये समयबद्ध पदोन्नति, चिकित्सा भत्ता, अर्द्धवार्षिकी आयु बढ़ाने जैसे उपायों पर भी विचार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री के प्रमुख निर्देश –

  • राज्य बीमारी सहायता निधि को और ज्यादा प्रभावी और सरल बनायें।
  • मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना और मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना में बच्चों के ऑपरेशन के बाद नियमित देखभाल सुनिश्चित करें।
  • जिला अस्पतालों को आदर्श अस्पताल बनाने के लिये हर संभव कदम उठायें।
  • जिला अस्पतालों में उपलब्ध मेडिकल उपकरणों के प्रबंधन और रख-रखाव के लिये पुख्ता व्यवस्था करें।
  • मुख्यमंत्री स्वास्थ्य शिविर योजना से सामाजिक कार्यकर्ताओं, संस्थाओं को जोड़ें।
  • गंभीर कुपोषित बच्चों के घरों में स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ दस्तक दें। उनके स्वास्थ्य पर निगरानी रखें।
  • गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले महिला स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन पूरा करें।
  • बच्चों के संपूर्ण टीकाकरण के सघन मिशन इंद्रधनुष के संचालन को प्रभावी बनायें। टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करने के लिये निगरानी तंत्र को मजबूत करें।
  • नये मेडिकल कॉलेजों के लिये चिकित्सकों की भर्ती की प्रक्रिया तत्काल शुरू करें।
  • बैठक में मुख्य सचिव श्री बी.पी. सिंह, अपर मुख्य सचिव वित्त श्री ए पी श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य श्रीमती गौरी सिंह, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री एस के मिश्रा, सचिव श्री विवेक अग्रवाल एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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