झारखण्ड हाईकोर्ट ने रचा इतिहास, पहली बार छुट्टी के दिन हुई सुनवाई
रांची : एक बच्ची को न्याय देने के लिए झारखंड हाईकोर्ट ने रविवार को इतिहास रच दिया. झारखंड के इतिहास में पहली बार छुट्टी के दिन (रविवार) हाईकोर्ट ने किसी मामले की सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में जमशेदपुर की एक 12 साल की दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात पर फैसले के लिए सुनवाई की. सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमशेदपुर स्थित सिदगोड़ा की रहनेवाली नाबालिग के 23 सप्ताह के गर्भ को गिराने का आदेश जारी कर दिया. मंगलवार को रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में बच्ची का गर्भपात कराया जा सकता है.
अदालत ने रिम्स की रिपोर्ट मिलने के बाद शाम को निर्देश दिया कि नाबालिग का 17 अक्तूबर को रिम्स में गर्भपात कराया जाये. जमशेदपुर के एसएसपी को आदेश दिया कि सरकारी खर्चे पर पीड़िता व उसके परिजनों को सोमवार सुबह रिम्स पहुंचाया जाये. पीड़िता के स्वास्थ्य होकर घर जाने तक का खर्च सरकार को वहन करने निर्देश दिया. कोर्ट ने बच्ची के इलाज के दौरान उसके परिजनों को रांची में ठहरने की व्यवस्था सरकार को करने का आदेश दिया है. साथ ही गर्भपात के बाद भ्रूण को संरक्षित कर फॉरेंसिक लेबोरेटरी भेजने को कहा, ताकि उसका डीएनए टेस्ट कराया जा सके.
15 मिनट तक चली कार्यवाही : इसके पहले रिम्स के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को सरकार के अधिवक्ता राजीव रंजन मिश्र ने अदालत को सौंपा. अदालत ने रिपोर्ट को खोल कर अध्ययन करने के बाद फैसला सुनाया. लगभग 15 मिनट तक चली कार्यवाही के दौरान अदालत ने संबंधित आदेश देते हुए रिट याचिका का निष्पादित कर दिया. क्लिनिकल व अल्ट्रासोनोग्राफिक के आधार पर 12 वर्षीय पीड़िता के पेट में लगभग 23 सप्ताह का गर्भ है. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राम सुभग सिंह ने अदालत के समक्ष पक्ष रखा.