पटना विवि के शताब्दी समारोह में सवा घंटे साथ रहेंगे मोदी-नीतीश
पटना : बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंच साझा करेंगे. पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में हिस्सा लेने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 14 अक्टूबर को पटना आ रहे हैं. इसके साथ ही पीएम मोदी कई विकास की योजनाओं का शिलान्यास भी करेंगे. इसमें मोकामा में 6 लेन का ब्रिज का गंगा नदी पर प्रस्ताव है. साथ ही मोकामा में एक जनसभा को भी दोनों नेता संबोधित करेंगे.
हालांकि बिहार में सरकार बनने के बाद पूर्णिया में दोनों नेताओं ने बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण 25 अगस्त को किया था लेकिन यह पहला अवसर होगा जब पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह और विभिन्न विकास योजनाओं के शिलान्यास के समय दोनों नेता रहेंगे. महागठबंधन सरकार के दौरान भी कई मौकों पर नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी मंच साझा कर चुके हैं लेकिन यह पहला अवसर होगा जब दोनों के मन भी एक हैं और विचार भी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “देखिए प्रधानमंत्री जी आने वाले हैं. यह प्रसन्नता की बात है. पिछले वर्ष ही पटना यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री जी ने शामिल होने की स्वीकृति दे दी थी. जनवरी में वह प्रकाश पर्व में आ रहे थे तो उसी समय योजना बन रही थी कि पटना यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में वह भाग लेंगे. मैंने फिर आग्रह किया था तो प्रधानमंत्री जी पटना यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में आ रहे हैं. हम सब लोगों के लिए खुशी की बात है कि वह इस कार्यक्रम में आ रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उसके अलावा अर्बन डेवलपमेंट का सीवरेज प्लांट मंजूर है, उसका कार्य आरंभ करने के लिए पीएम मोदी आ रहे हैं.
प्रधानमंत्री से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की मांग करने का कोई प्रस्ताव इस बार नहीं है. मुख्यमंत्री ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर कहा कि विधानसभा और विधान परिषद का प्रस्ताव अपनी जगह पर है लेकिन इस बार के दौरे में इन सब चर्चाओं का कोई शेड्यूल नहीं है.
उन्होंने कहा, “हम लोग इसके बारे में आपस में चर्चा करके जो भी सवाल होता है, उसे उठाते हैं. जहां तक प्रश्न है बिहार के विकास का तो मैं देख रहा हूं कि विभिन्न मंत्रालय के लोग बिहार पर ध्यान दे रहे हैं. धर्मेंद्र प्रधान जी आए तो सीएनजी की बात हुई. जिस तरह से गाड़ियां बढ़ती जा रही हैं यहां पर तो सीएनजी की जरूरत है, उनसे इन सब विषयों पर चर्चा हुई. यह खबर मिली है कि माननीय ऊर्जा मंत्री जी की ओर से बैठकर रेलवे के संबंधित और अन्य भी कई विषयों से संबंधित बात होगी, विकास के मसले पर केंद्र का बिहार के प्रति जिस ढंग का रवैया है उसको देखकर लगता है कि वर्षों से जो काम लंबित पड़े थे, वह तेजी से आगे बढ़ेंगे.”
हालांकि उनका मानना है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के लिए कई वजहें अपनी जगह है. उन्होंने कहा कि आज के संदर्भ में हमारी विशेष राज्य के दर्जा की मांग के दो ही कारण हैं- एक तो है चाहे जितना भी औद्योगिक प्रोत्साहन नीति बिहार के लिए बनाते हैं, उसके लिए निवेश कम होता है. केंद्र सरकार के तरफ से भी राहत मिलेगी तो निवेश की संभावना बढ़ सकती है. उसके चलते केंद्र सरकार से भी रियायतें मिले. दूसरा अगर विशेष राज्य का दर्जा मिलता है तो केंद्र प्रायोजित योजनाएं उसमें स्टेट शेयर 10% रहता है और सेंट्रल शेयर 90 पर्सेंट होता है. आज यह 40% और 60% का शेयर है. ज्यादातर योजनाओं में बिहार एक लैंड लॉक स्टेट है यहां कोई निवेश तब तक नहीं करता, जब तक उनको विशेष तौर पर आकर्षित नहीं किया जाए. निवेश कम होने पर निर्माण के कार्यों पर बुरा असर पड़ता है.