भारत का पहला पाइवेट सैटेलाइट IRNSS-1H आज होगा लॉन्च
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) एक बार फिर एक बड़ी छलांग के लिए तैयार है. इस बार तैयारी एक ऐसे सैटेलाइट को लॉन्च करने की है जिसे पूरी तरह से देश के निजी क्षेत्र ने मिलकर तैयार किया है. बेंगलुरु की अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी ने ‘नाविक’ श्रृंखला का एक उपग्रह बनाया है. जिससे देशी जीपीएस की क्षमता बढ़ेगी.
बीते तीन दशकों में इसरो के लिए यह पहला मौका है जब उसने नेविगशन सैटेलाइट बनाने का मौका निजी क्षेत्र को दिया है. इसरो प्रमुख एएस किरण कुमार ने बताया कि हमने सैटेलाइट जोड़ने में निजी संस्थानों की मदद ली है. इसके लिए रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने वाले बेंगलुरु के अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी को पहला मौका मिला है. 70 इंजीनियरों ने कड़ी मेहनत के बाद इस सैटेलाइट को तैयार किया है.
अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी दो सैटेलाइट्स तैयार कर रही है. यह सैटलाइट भारत के देशी जीपीएस सिस्टम का आठवां सदस्य होगा. कर्नल एचएस शंकर इंजीनियरों की इस टीम के मुखिया हैं. उन्होंने बताया कि इस सैटेलाइट को विदेशों में बनने वाले किसी भी सैटेलाइट की लागत के मुकाबले लगभग एकतिहाई से भी कम दाम में इसे तैयार किया है.
आईआरएनएसएस-1एच के प्रक्षेपण को गुरुवार की शाम अंतरीक्ष में स्थापित किया जाएगा. इसके लिए बुधवार से ही 29 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉंच पैड से शाम सात बजे इसका प्रक्षेपण किया जाएगा.
IRNSS-1H नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1ए की जगह लेगा, जिसकी तीन रूबीडियम परमाणु घड़ियों (एटॉमिक क्लॉक) ने काम करना बंद कर दिया था. IRNSS-1ए ‘नाविक’श्रृंखला के सात उपग्रहों में शामिल हैं. भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली है, जिसे भारत ने अमेरिका के जीपीएस की तर्ज पर विकसित किया है. 1,420 करोड़ रुपये लागत वाला भारतीय उपग्रह नौवहन प्रणाली, नाविक में नौ उपग्रह शामिल हैं, जिसमें सात कक्षा में और दो विकल्प के रूप में हैं. एक विकल्प में IRNSS-1H है. यह सैटलाइट 1,400 किलोग्राम से ज्यादा वजनी है.