बिहार में बाढ़ से अबतक 350 लोगों की मौत

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पटना । सात दिनों तक बिहार के बड़े भूभाग में तबाही मचाने के बाद शनिवार को कमला, कोसी एवं गंडक केतेवर ढीले पड़ते दिखे। बागमती और महानंदा का जलस्तर घटने लगा है। हालांकि कटिहार और सीमांचल के निचले इलाकों में बाढ़ की वजह लोगों की परेशानी जस की तस है।

शनिवार को गोपालगंज में सेना बचाव और राहत कार्य में जुट गई है। एनडीआरएफ की एक और टीम गोपालगंज पहुंची। बाढ़ का पानी कम होने से गोपालगंज में एनएच- 28 पर परिचालन शुरू हो गया। गंगा का जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन पुनपुन नदी उफान पर है। पटना पर से बाढ़ का खतरा टला नहीं है।

पूरे प्रदेश में राहत एवं बचाव में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना के 22 सौ जवान दिनरात लगे हैं। दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया गया है। शनिवार को बाढ़ के पानी में डूबने से उत्तर बिहार में 13 लोगों की मौत हो गई। इनमें पश्चिम चंपारण में पांच, पूर्वी चंपारण में तीन, दरभंगा, शिवहर और सीतामढ़ी के एक-एक लोग हैं।

मोतिहारी के बेलवनवा में बाढ़ के पानी में डूबने से दो लोगों की मौत हो गई। मधेपुरा में दो, खगडिय़ा में दो और कटिहार में तीन लोग डूब गए। अभी राज्य में बाढ़ की वजह से 350 से अधिक लोगों के मरने की सूचना है।

महामारी की फैलने की चिंता
नदियों का जलस्तर कम होने के बाद भी बाढ़ प्रभावित इलाकों में जलजमाव कायम है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में डायरिया, पीलिया एवं जलजनित बीमारियां महामारी का रूप ले सकती हैं। प्रशासन इस संबंध में चिंतित है। तैयारियां की जा रहीं।

अररिया में अब तक 40 शव मिले, 35 लोग लापता
अररिया के कई इलाके में शव मिल रहे। सिकटी, पलासी, कुर्साकांटा और जोकीहाट प्रखंड दूसरे इलाकों से कटे हुए हैं। प्रशासन की सहायता से अभी तक 40 शव बरामद किए गए हैं, जबकि 35 लोग लापता हैं।

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