ट्रॉमा सेंटर में आग, सड़क बनी मरीजों का वार्ड

ट्रॉमा सेंटर में आग, सड़क बनी मरीजों का वार्ड
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लखनऊ :केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में शनिवार देर शाम भीषण आग लग गई। दूसरी मंजिल पर स्थित डिजास्टर मैनेजमेंट वार्ड में आग लगते ही हड़कम्प मच गया। इस तल पर धुआं भरने से लोगों को सांस लेना मुश्किल होने लगा। इस पर जान बचाने के लिए लोग इधर-उधर भागने लगे। यहां बने वार्ड में भर्ती मरीजों को आनन-फानन बाहर निकाला जाने लगा। सबसे ज्यादा दिक्कत वेंटिलेटर पर गंभीर मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट कराने में केजीएमयू प्रशासन की सांसें अटकने लगीं। कुछ देर में ही सड़क मरीजों से भर गई। चारों तरफ चीख पुकार मच गई। यहां तक ही कुछ तीमारदार अपने मरीजों को गोद में उठाकर भी सड़क के दूसरी ओर भाग निकले।

ट्रॉमा सेंटर खाली कराया
इस आग की वजह से कोई मरीज या कोई व्यक्ति हताहत नहीं हुआ। एक दर्जन से अधिक दमकल की मदद से आग पर कुछ देर में ही काबू पा लिया गया लेकिन धुआं भर जाने की वजह से राहत कार्य में काफी देर तक दिक्कत रही। इस मंजिल पर भर्ती 200 से अधिक मरीजों को शताब्दी व मानसिक रोग विभाग में शिफ्ट कराया गया।

डॉक्टरों के जज्बे को सलाम
ट्रॉमा सेंटर में आग से मची तबाही के तीन घंटे के भीतर फिर से इमरजेंसी चालू करा दी गई है। मरीजों की भर्ती शुरू हो गई। डॉक्टरों और कर्मचारियों की कड़ी मेहनत के बाद व्यवस्था धीरे-धीरे फिर से पटरी पर लौटने लगी है। केजीएमयू कुलपति डॉक्टर एमएलबी भट्ट ने खुद खड़े होकर कैजुअल्टी ठीक कराई। सीटी स्कैन अल्ट्रासाउंड एक्स-रे समय दूसरी मशीनों को चालू करा दिया गया। खून की जांच व दवा काउंटर भी खुलवा दिए गए हैं। 20 डॉक्टरों की टीम कैजुअल्टी वार्ड में लगा दी गई है। 108 और 102 एंबुलेंस सेवा के पेरामेडिकल स्टाफ भी मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए  तैनात किए गए हैं।

मरीजों की सेवा में मेडिकोस भी जुटे
आग लगने की घटना के बाद मेडिकोज ने मरीजों के सेवा में मेडिकोज भी उतर आए। भर्ती मरीजों को चाय बिस्किट से लेकर मरहम पट्टी तक सड़क पर ही उपलब्ध कराए। मेडिकोज ने कई मरीजों के टांके भी सड़क पर लगाए, जिससे उनकी जान बच सके।

करोड़ों का फायर सिस्टम सिर्फ दिखावे के लिए
करोड़ों का फायर फाइटिंग सिस्टम आग लगने पर कूड़ा साबित हुआ। आग लगने की घटना पर चालू किया गया फायर फाइटिंग सिस्टम फुस्स हो गया। फायर फाइटिंग सिस्टम में पानी ही नहीं निकला। थोड़ा बहुत पानी निकला लेकिन उसमें प्रेशर माही बेहद कम था। इसकी वजह से आग बुझाने में दमकल कर्मियों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी मरीजों की सुरक्षा के लिए ट्रामा सेंटर में करोड़ों रुपए द फायर फाइटिंग सिस्टम लगाया गया लेकिन शनिवार को लगी आग में वह बेकार साबित हुआ। ट्रॉमा के पीछे वाले गेट में पाइप ही नहीं था। पूरे ट्रामा सेंटर में कहीं पर भी फायर फाइटिंग सिस्टम की पाइपलाइन तक नहीं बिछी हैं इसकी वजह से सैकड़ों मरीजों की जान आफत में है । ट्रॉमा सेंटर में घपला घोटाले के सिवाय कुछ और नहीं हुआ मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।

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