सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी और एनआईटी में एडमिशन प्रक्रिया पर लगाई रोक
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश के सभी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) को आईआईटी-जेईई (एडवान्स) 2017 के नतीजे के आधार पर छात्रों की आगे काउन्सिलिंग करने और एडमिशन देने से रोक दिया. जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर की बेंच ने सभी उच्च न्यायालयों को भी आज से इन आईआईटी में काउन्सिलिंग और एडमिशन से जुड़ी किसी भी नई याचिका पर विचार करने से रोक दिया है.
बेंच ने पूछा कितनी याचिकाएं दायर हुई हैं
पीठ ने उच्च न्यायालयों की रजिस्ट्री को यह सूचित करने का निर्देश दिया कि आईआईटी-संयुक्त् प्रवेश परीक्षा (जेईई) 2017 की रैंक सूची और इस परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यार्थियों को अतिरिक्त अंक दिए जाने को चुनौती देने वाली कितनी याचिकाएं दायर हुई हैं.बेंच ने इस आदेश की प्रतियां सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को भेजने का निर्देश देते हुए मामले को 10 जुलाई को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया है.
अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्यायालय से न्यायसंगत समाधान करने का अनुरोध किया
इस मामले की सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्यायालय से न्यायसंगत समाधान करने का अनुरोध किया कि क्योंकि इस परीक्षा में बहुत अधिक संख्या में छात्र शामिल हुए थे. कुछ अभ्यार्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह का कहना था कि जेईई (एडवान्स) 2017 परीक्षा में त्रुटिपूर्ण सवालों के लिये अभ्यार्थियों को ‘बोनस अंक’ देने की आईआईटी की कार्रवाई ‘पूरी तरह गलत’ है और इसने सभी छात्रों के अधिकार का हनन किया है.
पीठ ने कहा कि न्यायालय 2005 में दिए गए फैसले के आधार पर चलेगा
पीठ ने सुझाव दिया कि इन सवालों का जवाब देने का प्रयास करने वाले छात्रों को बोनस अंक दिए जाएंगे. पीठ ने कहा कि न्यायालय 2005 में दिए गए फैसले के आधार पर चलेगा और जिन छात्रों ने सवालों के जवाब देने का प्रयास नहीं किया उन्हें बोनस अंक नहीं दिए जा सकते.
पीठ ने कहा कि वह इस समस्या का समाधान खोजने का प्रयास करेगी
वेणुगोपाल ने कहा कि प्रत्येक असफल सवाल के लिए निगेटिव अंक थे और हो सकता है कि कुछ छात्रों ने ‘निगेटिव अंक’ की आशंका में इन सवालों का जवाब देने का प्रयास ही नहीं किया हो. उन्होंने कहा कि अब तक 33000 से अधिक छात्र देश की इन प्रतिष्ठित संस्थानों के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले चुके हैं. पीठ ने कहा कि वह इस समस्या का समाधान खोजने का प्रयास करेगी जिसे जल्दी से जल्दी सुलझाना जरूरी है परंतु अंतरिक उपाय के रूप में आईआईटी को जेईई-2017 के आधार पर और काउन्सिलिंग नहीं करनी चाहिए और प्रवेश नहीं देना चाहिए.