500 बड़े कर्जदारों पर होगी कार्रवाई: रिजर्व बैंक

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नई दिल्ली: बैंकों के फंसे हुए कर्ज को वसूलने और डिफॉल्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने की दिशा में रिजर्व बैंक ने अपने प्रयास तेज कर दिए हैं. आरबीआई ने बताया कि उसकी आंतरिक सलाहकार समिति ने सबसे ज्यादा एनपीए वाले 500 खातों की पहचान की है, जिनके खिलाफ इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड के तहत कार्रवाई करने की सिफारिश की जाएगी.

यही नहीं इस मीटिंग के दौरान एक चौंकाने वाला आंकड़ा यह भी सामने आया कि 12 खाताधारकों के पास ही कुल एनपीए का 25 पर्सेंट हिस्सा बकाया है. यानी 12 खाताधारकों ने ही कुल कर्ज का एकचौथाई हिस्सा दबा रखा है. आरबीआई के मुताबिक 8 लाख करोड़ रुपये के बकाये में से 6 लाख रुपये सार्वजनिक बैंकों के हैं.

फंसे कर्ज की समस्या से जुझ रहे सरकारी बैंको ने 31 मार्च को खत्म हुए कारोबारी साल के दौरान 74,400 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले. बट्टे खाते मे डालने का मतलब किसी भी सूरत में वसूला नहीं जाने वाले कर्ज को पूरी तरह से किताब से हटाना है.

सोमवार को सरकारी बैंक प्रमुखों के साथ बैठक में बैंकों के फंसे कर्ज की मौजूदा स्थिति पर चर्चा हुई. इसी दौरान ये जानकारी दी गयी कि सरकारी बैंकों की ओर से बट्टे खाते में डाली गयी रकम कारोबारी साल 2016-17 के दौरान 35 फीसदी बढ़ी. 2015-16 के दौरान बट्टे खाते में कुल मिलाकर 55 हजार करोड़ रुपये डाले गए थे. बट्टे खाते की रकम के बारे में ये जानकारी ऐसे समय में आयी है जब तमाम सरकारी बैंक भारी-भरकम फंसे कर्ज की समस्या से जुझ रहे है और इसका असर उनके मुनाफे पर भी पड़ा है. ध्यान रहे कि कारोबारी साल 2016-17 के दौरान फंसे कर्ज के लिए रकम का इंतजाम (प्रोवजनिंग) करने के बाद 21 सरकारी बैंकों का शुद्ध मुनाफा महज 574 करोड़ रुपये रहा.

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