बोफोर्स घोटाले के 30 साल बाद सेना को मिली नई होवित्जर तोप

बोफोर्स घोटाले के 30 साल बाद सेना को मिली नई होवित्जर तोप
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नई दिल्ली: बोफोर्स घोटाले के बाद 30 साल के लंबे इंतजार के बाद थल सेना को अमेरिका से गुरुवार (18 मई) को दो बहुत हल्की होवित्जर तोपें मिली, जो लंबी दूरी तक मार करने वाली 145 तोपों के लिए दिए ऑर्डर का हिस्सा है. इनमें से ज्यादातर चीन से लगी सीमा पर तैनात की जाएंगी. एम -777 ए – 2 बहुत हल्की होवित्जर (यूएलएच) तोपों की अधिकतम रेंज 30 किलोमीटर है. इन्हें बीएई सिस्टम ने बनाया है. इन्हें गोलाबारी के परीक्षण के लिए पोखरण ले जाया जा रहा.

थल सेना को इन तोपों की बहुत जरूरत है और भारत ने करीब 5,000 करोड़ रुपये की लागत से 145 होवित्जर तोपों की आपूर्ति के लिए पिछले साल नवंबर में अमेरिका के साथ सरकार से सरकार के स्तर पर एक सौदा किया था. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नयी तोपों को चीन की सीमा पर तैनात करने की उम्मीद है. इनमें से 25 तोपों को तैयार स्थिति में भारत लाया जाएगा जबकि शेष तोपें महिन्द्रा डिफेंस के साथ साझेदारी कर बीएई भारत में ही कलपुर्जे जोड़कर तैयार की जाएंगी. 155 एमएम, 39 कैलिबर वाली तोपें भारतीय गोलाबारूद दागेगी.

सेना ने एक बयान में कहा है कि अनुबंध की शर्तों के मुताबिक अनुबंधित एजेंसी द्वारा ‘फायरिंग टेबल’ तैयार की जा रही है. इसके तैयार हो जाने पर तीन और तोपें प्रशिक्षण के लिए सितंबर 2018 में आपूर्ति होंगी. इसके बाद मार्च 2019 से पांच तोप प्रति माह शामिल की जायेंगी, जब तक कि 2021 के मध्य तक पूरी खेप नहीं पूरी हो जाती.

बीएई सिस्टम के एक अधिकारी ने बताया, ‘थल सेना (इंडियन आर्मी) के तोपखाना आधुनिकीकरण कार्यक्रम के लिए उसके साथ इस नयी हथियार प्रणाली को समन्वित किए जाने में अमेरिकी सरकार की मदद करना हम जारी रखेंगे.’ होवित्जर तोपों को सर्वप्रथम करीब 10 साल पहले बीएई से खरीदने का प्रस्ताव था. भारत ने इससे पहले 1980 के दशक के मध्य में स्वीडिश रक्षा कंपनी बोफोर्स से होवित्जर तोपें खरीदी थी. इस सौदे में दलाली ने सेना द्वारा तोप की खरीदारी को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया था.

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