विवादित पोस्ट लिखने वाली डेप्युटी जेलर सस्पेंड
रायपुर :सोशल मीडिया पर नक्सलियों को लेकर विवादित पोस्ट से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा देने वाली रायपुर सेंट्रल जेल की डेप्युटी जेलर वर्षा डोंगरे को सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। हालांकि सरकार ने वर्षा डोंगरे के सस्पेंशन की वजह फेसबुक पोस्ट नहीं, बल्कि उनकी छुट्टियों को बताया है। वर्षा को ईमेल के जरिए छुट्टी खारिज किए जाने की सूचना भेजी गई थी, लेकिन 6 मई तक ड्यूटी से नदारद होने की दलील देते हुए जेल मुख्यालय ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है। वर्षा पर जेल मैन्युअल की धारा 207 का उल्लंघन करने का आरोप है।
सुकमा के बुरकापाल नक्सल हमले के बाद वर्षा डोंगरे की लिखी पोस्ट जिस तरह से फेसबुक पर वायरल हुई, उसके बाद प्रशासनिक महकमे में इस बात की चर्चा चल रही थी कि कहीं वह नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का हिस्सा तो नहीं हैं। इस पोस्ट के मामले की जांच के लिए जेल प्रभारी आरआर राय की अध्यक्षता में कमिटी भी गठित हुई थी। वर्षा को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया गया।
यह था पोस्ट
कथित तौर पर डोंगरे ने फेसबुक में लिखा था, ‘मुझे लगता है कि एक बार हम सभी को अपना गिरेबान में झांकना चाहिए, सच्चाई खुद ब खुद सामने आ जाएगी। घटना में दोनों तरफ मरने वाले अपने देशवासी हैं। भारतीय हैं, इसलिए कोई भी मरे तकलीफ हम सबको होती है। लेकिन पूंजीवादी व्यवस्था को आदिवासी क्षेत्रों में जबरदस्ती लागू करवाना, उनको जल, जंगल जमीन से बेदखल करने के लिए गांव का गांव जलवा देना, आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार, आदिवासी महिलाएं नक्सली हैं या नहीं, इसका प्रमाण पत्र देने के लिए उनका स्तन निचोड़कर दूध निकालकर देखा जाता है। टाइगर प्रॉजेक्ट के नाम पर आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन से बेदखल करने की रणनीति बनती है, जबकि संविधान के अनुसार 5वीं अनुसूची में शामिल होने के कारण सैनिक सरकार को कोई हक नहीं बनता, आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन को हड़पने का। आखिर ये सबकुछ क्यों हो रहा है, नक्सलवाद खत्म करने के लिए..? लगता नहीं।’