लालू बोले, जेतना बूढ़-बिसुकल गाय है जाके भाजपा वालों के दुआर पर बांध दो

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राजगीर:राजद के तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर सह राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन सत्र में गुरुवार को राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद पूरे रंग में नजर आये. उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि ‘‘बीजेपी गौरक्षा का नारा लगाती है, तो घर जाकर पहला काम यह करो कि आसपास जेतना बूढ़-बिसुकल गाय है, उसको ले जाओ और अपने इलाके के भाजपा नेता के दुआर पर बांध दो. उ लोग मारपीट करेगा, करने दो, हमलोगों को शांत रहना है.

पटना में गाय बटोर कर बीजेपी ऑफिस में बांधा जायेगा.’’ उन्होंने 27 अगस्त को पटना में भाजपा हटाओ, देश बचाओ रैली के आयोजन की घोषणा की और कहा कि अब एक ही नशा है दिल्ली. उन्होंने कहा कि यहां हमलोग देश पर से संकट उतारने आये हैं, सैर-सपाटा करने, ताली बजाने नहीं आये हैं. लड़ाई से पहले सैनिकों को प्रशिक्षण देना जरूरी है. बीजेपी के हाथ मे देश सुरक्षित नहीं है. असंगठित क्षेत्र सुरक्षित नहीं है, पूंजीपति मालामाल हो रहा है. 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने जो वादे किये, उन्हें पूरा नहीं किया. जनता को झांसा दिया है. मोदी को ललकारते हुए लालू ने कहा कि 56 इंच का सीना बतानेवाले मोदी बताओ, सीमा के अंदर क्या हो रहा है.
सरहद पर अशांति, देश में अशांति, नस्लभेद का माहौल है. अब लोकतंत्र नहीं रहेगा, संविधान नहीं बचेगा. मनुस्मृति को पढ़ लेना, इसमें दलित-पिछड़ों के प्रति क्या लिखा है. आयोग बना है, आरक्षण खत्म करने की साजिश हो रही है.
लालू बोले, हमारी मांग है, चारों शंकराचार्य पीठ में दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों को जगह दो. एक अपने पास रखो, तीन हमलोगों को दो. उन्होंने कहा, आज देश में बापू, लोहिया, अांबेडकर, जेपी नहीं हैं. ऐसे में हम सबों पर देश बचाने की जिम्मेदारी है. ये लोग जय श्रीराम बोलता है, सीता-राम नहीं बोलता, जबकि सीता के बिना राम अधूरे हैं. ये लोग राम को दुधारू गाय बना लिया है. बताइए, एक भी सूई का कारखाना लगाया तीन साल में.
लालू प्रसाद ने कहा, किशनगंज गया था, माइनॉरिटी को टीज करने, आग का लूका लेकर गया था. जहां से हमारी पार्टी को सीट मिली थी. अरे, कमबख्तों मां से प्रेम है, तो वैष्णोदेवी जाओ, पटन देवी जाओ, किशनगंज में क्या है.
संबोधन के अंत में उन्होंने एलान किया कि 27 अगस्त को भाजपा हटाओ, देश बचाओ रैली पटना में होगी. कमिश्नरी वाइज ऐसा ही प्रशिक्षण शिविर होगा, हम खुद आयेंगे. अब एक ही नशा है, दिल्ली. कोई भी आदमी गंठबंधन के खिलाफ बोले, नहीं बोलना है. कालिदास की तरह अपने ही डाल को काटना है क्या?
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