अफगानिस्तान में अमेरिकी हमले से पतली हुई पाकिस्तान की हालत

अफगानिस्तान में अमेरिकी हमले से पतली हुई पाकिस्तान की हालत
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नई दिल्ली: आतंक के खिलाफ लड़ाई को लेकर अपनी गंभीरता दिखाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गुरुवार देर शाम अफगानिस्तान पर अपना सबसे बड़ा नॉन न्यूक्लियर महाबम गिराया. ट्रंप का ये बम ठीक निशाने पर लगा. अब तक आईएसआईएस के सौ से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की खबर है. इसपर अफगानिस्तान में पूर्व अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि पाकिस्तान में गिराना सही रहता.

पाकिस्तान के लिए ये खतरे की घंटी

जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान के लिए ये खतरे की घंटी है. आपको बता दें कि जिस ज़िले में यह बम गिराया गया वहां भारी तबाही तो मची ही साथ ही आस पास के कई ज़िलों में भी भूचाल आ गया. प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक मंज़र इतना भयावह था कि उसको ऐसा लगा धरती तूफान में फंसी एक नाव बन गयी है. शुरूआती जानकारी है कि वहां 100 इस्लामिक स्टेट के आतंकी मारे गए हैं.

अफगानिस्तान के पूर्वी इलाके में गिराया गया ये महाबम दुनियाभर में आतंक के खिलाफ बड़ी खतरे की घंटी है, और अब पाकिस्तान के लिए बड़ी खतरे की घंटी बजनी शुरू हो गयी है. भारतीय और अमेरिकी जानकार बता रहे हैं कि अफगानिस्तान में आतंक पाकिस्तान की वजह से है और वहां के आतंकी अड्डों पर बमबारी के बारे में अमेरिका को सोचना चाहिए.

पाकिस्तानी सीमा से सिर्फ 15 किमी दूर

अमेरिका ने अब तक का सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराया तो अफगानिस्तान में है लेकिन उसके धमाके ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है. बम अफगानिस्तान में गिरा लेकिन डर पाकिस्तान को हुआ. अमेरिका ने जहां बम गिराया है वो अफगानिस्तान के अचिन जिले में आता है, ये पूर्वी नंगरहर इलाका है जहां बम ने आईएस आतंकियों का सफाया किया, और ये पाकिस्तानी सीमा से सिर्फ 15 किमी दूर है.

पाकिस्तान का एक बड़ा शहर पेशावर यहां से महज़ 82 किमी है. यानि एक तरह से अमेरिका का ये सबसे बड़ा बम पाकिस्तान के दरवाज़े पर गिरा है. इसे पाकिस्तान के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति की चेतावनी भी कही जा सकती है, क्योंकि ट्रंप सहित पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान ही आतंकियों को पैदा करता है. अमेरिका ने बहुत बड़े पैमाने पर चेतावनी दी है. चीन को, पाकिस्तान को, जो भी दहशतगर्दों के साथ जुड़ेगा और जो भी दुनिया की शांति को चुनौती देगा उसके खिलाफ कार्रवाई अमेरिका करने के लिए तैयार है.

3 किलोमीटर के दायरे में खत्म हो जाती है इंसानों के सुनने की क्षमता 

MOAB यानि मदर ऑफ ऑल बॉम्स तीस फीट लंबा और करीब 9700 किलो वजनी है. बम का असर करीब डेढ़ किलोमीटर के दायरे में होता है और जहां ये गिरता है वहां करीब 300 मीटर चौड़ाई का गड्ढा बन जाता है. इसके दायरे में आने वाली इमारतें खाक में मिल जाती हैं. ऑक्सीज़न पलक झपकते खत्म हो जाती है. इंसानों की पल भर में मौत हो जाती है. इतनी गर्मी पैदा होती है कि दायरे में मौजूद पानी भाप बनकर उड़ जाता है. यही नहीं तीन किलोमीटर के दायरे में मौजूद इंसानों के सुनने की क्षमता खत्म हो जाती है.

इतने बड़े बम का इस्तेमाल पहली बार किया गया है, यही नहीं ट्रंप ने इस बम के ज़रिए साफ कर दिया है कि अब ओबामा शासन वाली नरमी नहीं चलेगी बल्कि आतंकियों पर ऐसे बड़े हमले बार-बार होते रहेंगे. अगर आप देखें कि पिछले आठ हफ्तों में वहां पर क्या हुआ और इसकी तुलना आप पिछले आठ सालों में उठाए गए कदमों से करें तो आपको एक बड़ा बदलाव नजर आएगा, बड़ा बदलाव.

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