आतंकियों के हाथ लग गए अफगानिस्तान में छोड़े अमेरिकी सेटेलाइट

आतंकियों के हाथ लग गए अफगानिस्तान में छोड़े अमेरिकी सेटेलाइट
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नई दिल्ली :अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना ने जो सेटेलाइट छोड़े थे वह अब पाकिस्तानी आतंकियों (Pakistan Terrorists) के हाथ लग रहे हैं। इंटेलिजेंस रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। बताया गया है कि कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकवादी इनका इस्तेमाल कर रहे हैं।

इंटेलिजेंस एजेंसी की रिपोर्ट (Intelligence Report) में यह बात सामने आई है कि इरेडियम सेटलाइट कम्युनिकेशन सेट (iradium Satellite Communication) कश्मीर में एक्टिव होते दिखे हैं। ये वही इरेडियम सेटेलाइट हैं जिनका अमेरिकी सेना () इस्तेमाल करती थी। इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों के मुताबिक 13 फरवरी को पहली बार ये इरेडियम सेटेलाइट सिस्टम एक्टिव हुए। तब एक साथ 8 कम्युनिकेशन सिस्टम एक्टिव हुए। ये कश्मीर की शम्शाबाड़ी रेंज और पीर पंजाल रेंज में एक्टिव दिखे। इसके बाद और जगहों पर भी इरेडियम सेटेलाइट सिस्टम एक्टिव हुए।

अमेरिकी सेना के सेटेलाइट आतंकियों के हाथ लगे
रिपोर्ट के मुताबिक बांदीपोरा, गांदरबल, कुपवाड़ा, बडगाम और पुलवामा में भी एक एक बार ये एक्टिव दिखे। बारामूला में इस तरह के कम्युनिकेशन सेट दो बार एक्टिव दिखे। ये सब एक साथ एक ही दिन सुबह 10.30 से लेकर दोपहर 3 बजे तक एक्टिव थे। 14 फरवरी को जो एक्टिव थे वह 2 बांदीपोरा में, 2 बारामूला में और एक उरी के दूसरी तरफ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में एक्टिव था। इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों का कहना है कि ये वही सेट हैं जो अमेरिकी सेना इस्तेमाल करती है और माना जा रहा है कि अमेरिकी सेना जो सेट अफगानिस्तान में छोड़कर गई है, वही आतंकियों के हाथ लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक आतंकी इन कम्युनकेशन सेट के जरिए अपने किसी आतंकी मिशन को लेकर कम्युनिकेशन कर रहे होंगे या फिर इन्हें चेक किया जा रहा होगा।

क्या है इरेडियम सेटेलाइट
भारतीय सेना से रिटायर्ड मेजर जनरल अशोक कुमार कहते हैं कि इरेडियम सेटेलाइट एक अमेरिकन कंपनी के बनाए सेट हैं। इसमें 66 एक्टिव सेटेलाइट होते हैं और 9 रिजर्व सेटेलाइट हैं। ताकि किसी भी स्थिति में इसका मकसद पूरा हो सके। यह धरती से 780 किलोमीटर ऊपर तैनात रहते हैं और कम्युनिकेशन के लिए इसका इस्तेमाल होता है। इनका इस्तेमाल करने के लिए हैंडहेल्ड ट्रांसमीटर और रिसीवर होते हैं जिसके जरिए दुनिया में कहीं भी कहीं से भी कम्युनिकेशन हो सकता है। अमेरिकी सेना ने इसका इस्तेमाल अफगानिस्तान में किया था।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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