सभी के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा होगी, हिजाब विवाद पर बोला सुप्रीम कोर्ट
सोमवार को सूचीबद्ध करने का अनुरोध
छात्रों का पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने चीफ जस्टिस एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली एक पीठ को बताया कि हाईकोर्ट के आदेश ने ‘संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार को निलंबित कर दिया है।’ उन्होंने याचिका को सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध भी किया।
सीजेआई बोले- हम इस पर गौर करेंगे
शीर्ष अदालत ने इस मामले में जारी सुनवाई का जिक्र करते हुए कहा, ‘हम प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेंगे और उचित समय पर विचार करेंगे।’ याचिका पर तत्काल सुनवाई के कामत के अनुरोध पर चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हम इस पर गौर करेंगे।’ हिजाब के मुद्दे पर सुनवाई कर रही कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन जजों वाली पीठ ने गुरुवार को मामले के निपटारे तक छात्रों से शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक कपड़े पहनने पर जोर नहीं देने के लिए कहा था।
वर्दी के उल्लंघन के लिए दंड का कोई प्रावधान नहींइससे पहले शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाले छात्र-याचिकाकर्ताओं ने गुरुवार को कर्नाटक हाईकोर्ट को बताया था कि कर्नाटक शिक्षा अधिनियम-1983 में वर्दी के उल्लंघन के लिए दंड का कोई प्रावधान नहीं है। कुंडापुरा की छात्राओं की ओर से कर्नाटक हाईकोर्ट की फुल बेंच के समक्ष पेश हुए एडवोकेट संजय हेगड़े ने कहा कि कर्नाटक शिक्षा अधिनियम-1983 में निर्धारित दंड खंड काफी हद तक कॉलेज प्रबंधन तक ही सीमित है।
हिजाब के बाद भगवा शॉल से फैली अराजकताइसके जवाब में राज्य के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने बताया कि जब लड़कियां हिजाब पहनकर कॉलेजों में आने लगीं, तो कुछ अन्य छात्र भगवा शॉल पहनकर आने लगे, जिससे अराजकता फैल गई। नतीजतन, राज्य ने शुक्रवार तक स्कूलों और कॉलेजों में तीन दिनों के लिए अवकाश घोषित कर दिया। महाधिवक्ता नवदगी ने यह भी कहा कि शिक्षण संस्थानों ने राज्य सरकार के निर्देश के आधार पर स्कूल की वर्दी तय की है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स