सीएनटी में संशोधन के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन

सीएनटी में संशोधन के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन
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नयी दिल्ली: सीएनटी और एसपीटी एक्ट में हुए संशोधन के विरोध में झारखंड से पहुंचे आदिवासियों ने सोमवार को दिल्ली में मंडी हाउस से लेकर जंतर-मंतर तक मार्च किया. झारखंड आदिवासी संघर्ष मोरचा के तत्वावधान में आयोजित मार्च में कई राजनीतिक दल के नेता, गैर सरकारी संगठन और बुद्धिजीवी भी शामिल हुए. जंतर-मंतर पर आयोजित सभा में झारखंड के तमाम विपक्षी दलों के नेता मौजूद थे. विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं ने रघुवर सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए तत्काल इस जनविरोधी फैसले को वापस लेने की मांग की. कहा िक झारखंड सरकार आिदवासियों का अिस्तत्व िमटाने पर तुली है.

आदिवासियों के अस्तित्व को समाप्त करने पर  तुली है  सरकार : हेमंत
झामुमो नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासियों और मूलवासियों की रक्षा के लिए इस कानून को बनाया गया है. राज्य सरकार साजिश कर आदिवासियों के अस्तित्व को मिटाने पर तुली  है. आदिवासी समाज की जमीन उद्योगपतियों को देने के लिए कानून में परिवर्तन किया गया है. झारखंड में आजादी के बाद कई बड़े उद्योग लगे, लेकिन इससे बड़े पैमाने पर विस्थापित हुए लोग आज भी इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं. इस कड़ी को आगे बढ़ाने के लिए इस कानून में संशोधन किया गया है. लेकिन आदिवासी समाज इसके खिलाफ लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार है. झारखंड सरकार अब गांव-गांव शराब बेचने की योजना बना रही है, ताकि आदिवासियों को इसकी लत लग जाये और उनकी जमीन आसानी से ली जा सके.
राज्य सरकार की जनविरोधी नीति : शैलेंद्र
 इस मौके पर पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष के लिए दिल्ली में दस्तक दी गयी है. अंग्रेजों ने सोच-समझकर आदिवासी हितों की रक्षा के लिए इस कानून को बनाया था. यह कहना गलत है कि विकास की राह में यह कानून रोड़ा है़  अगर ऐसा है तो बोकारो, जमशेदपुर व रांची में उद्योग कैसे लगे. यह झारखंड के लिए चीन की दीवार के समान है.
उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है सरकार : सुबोधकांत 
कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि आदिवासी आर्थिक तौर पर कमजोर हैं. राज्य की 30 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है. ऐसे में आदिवासियों की रक्षा के लिए बनाये गये कानून में बदलाव की जरूरत नहीं है. दरअसल उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए रघुवर दास सरकार बड़े पैमाने पर जमीन का अधिग्रहण करना चाहती है. सरकार की नीतियों के कारण आज अधिकांश जिलों में हिंसक आंदोलन हो रहे हैं.  आदिवासियों के हित में इस कानून में किसी प्रकार का संशोधन नहीं होना चाहिए. इस मामले पर पूरा विपक्ष एकजुट है. आदिवासी परंपरा और संस्कृति की आवाज है सीएनटी कानून.
जनभावना की अनदेखी : रामेश्वर 
पूर्व कांग्रेसी सांसद रामेश्वर उरांव ने कहा कि जमीन की लूट को बढ़ावा देने के लिए कानून में संशोधन किया जा रहा है. बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू के संघर्ष के बाद यह कानून लागू किया गया. लेकिन जनभावना को दरकिनार कर राज्य सरकार कानून में बदलाव करने पर आमादा है. आदिवासी व्यापारी नहीं है कि वह जमीन बेच कर कोई धंधा कर सके.
आदिवासियों को विस्थापित करने का प्रयास : बलमुचु
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रदीप बलमुचु ने कहा कि पहले राज्य सरकार ने स्थानीय नीति बनाकर मूलवासियों का अधिकार छीनने का प्रयास किया, अब सीएनटी एक्ट में बदलाव कर आदिवासियों को विस्थापित करने का प्रयास कर रही है. इस मौके पर पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, त्रिपुरा से माकपा सांसद जोगेन चौधरी, पूर्व विधायक प्रेमशाही मुंडा और अन्य नेता भी मौजूद थे़
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