'बच्चों से नहीं मिल पाया पिता तो नहीं बढ़ेगी मुकदमेबाजी', घरेलू हिंसा कानून पर SC का अटॉर्नी जनरल से सवाल
दरअसल निचली अदालत ने घरेलू हिंसा मामले में सुनवाई के दौरान पति की अर्जी पर बच्चे से मिलने का आदेश पारित किया था। पत्नी ने घरेलू हिंसा कानून के तहत केस दर्ज करा रखा है। सेशन कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया और हाई कोर्ट ने भी सेशन कोर्ट के फैसले को सही बताया जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के सामने मामला आया। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से राय मांगी थी।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि डीवी एक्ट की धारा-21 के तहत प्रावधान है कि बच्चे की कस्टडी व विजिटिंग राइट के मामले में पीड़ित पर्सन आवेदन दे सकता है और यहां पीड़ित पर्सन महिला होगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर डीवी एक्ट के तहत पति चाइल्ड विजिट मामले में आवेदन नहीं दे सकता है तो फिर इससे मुकदमेबाजी बढ़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि क्या पुरुष डीवी एक्ट के तहत चाइल्ड कस्टडी मामले में आवदेन दे सकता है? चीफ जस्टिस ने चिंता जताते हुए कहा कि अगर पुरुष को विजिट राइट के लिेए डीवी एक्ट के तहत आवेदन देने का अधिकार नहीं होगा तो मुकदमा बढ़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पुरुष डीवी एक्ट के तहत नहीं बल्कि अन्य कानूनी प्रावधान का सहारा ले सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुद्दा यह है कि तरह के मामले को एक छतरी के नीचे लाया जाए और विधायिका को यह देखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मामला डीवी एक्ट के तहत पेडिंग है तो पति अन्य कोर्ट कैसे जाए। सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह मामले में जजमेंट और नोट्स पेश करेंगे। सुनवाई अदालत ने दो हफ्ते के लिेए टाल दी है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स