हिजाब हमारी पहचान है…. भोपाल में मुस्लिम छात्राओं ने बुर्का पहनकर खेला क्रिकेट और फुटबॉल
छात्राओं ने कहा कि हिजाब मुस्लिम लड़कियों की पहचान है। इसे पहनने के लिए उन पर किसी तरह का दबाव नहीं है। वे अपनी पसंद से इसे पहनती हैं और इस पर प्रतिबंध उन्हें मंजूर नहीं है।
एमपी में की शुरुआत मंगलवार को शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के बयान से हुई थी। परमार ने कहा था कि स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। छात्रों को यूनिफॉर्म कोड के अनुसार ही स्कूल आना होगा। उन्होंने यह भी बताया था कि सरकार स्कूल यूनिफॉर्म कोड को लेकर काम कर रही है और इसे अगले सेशन से पहले लागू कर दिया जाएगा।
हालांकि, परमनार के बयान पर हंगामा मचने के बाद 24 घंटे के अंदर ही फैसला वापस ले लिया गया। बुधवार को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सफाई देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार हिजाब पर बैन लगाने का विचार नहीं कर रही है। इसके थोड़ी देर बाद परमार ने भी कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। परमार ने कहा कि यूनिफॉर्म को लेकर उनका बयान स्कूलों में समानता, अनुशासन और पहचान से संबंधित था। उनकी सरकार नया यूनिफॉर्म कोड लागू नहीं करेगी। स्कूलों में मौजूदा व्यवस्था ही आगे भी जारी रहेगी।
हिजाब को लेकर मौजूदा विवाद कर्नाटक के कुंडापुरा कॉलेज से शुरू हुआ था। इस कॉलेज की 28 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लास अटेंड करने से रोका गया था। इस मामले में छात्राओं ने हाईकोर्ट में अपील की थी और हिजाब पहनने की अनुमति मांगी थी। छात्राओं ने कॉलेज गेट पर इसके लिए धरना भी दिया था। इसके बाद कर्नाटक के कई कॉलेजों में यही विवाद शुरू हो गया।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स