जूलरी ससुरालियों की कस्टडी में रखना दहेज प्रताड़ना नहीं, सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बहू की जूलरी सुरक्षा के लिए अपने सेफ कस्टडी में रखना कानून के तहत दहेज प्रताड़ना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अगुवाई वाली बेंच ने यह भी कहा कि अलग रह रहे अपने भाई को कंट्रोल करने में विफल रहना और उसे एडस्ट करने की सलाह देने में विफलता दहेज प्रताड़ना नहीं है।
यूएस वापस जाने की इजाजत मांग रहा पतिमहिला ने अपने पति और अन्य ससुरालियों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस किया था। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता पति की अपील पर सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी की। याचिकाकर्ता ने नौकरी के लिए यूएस वापस जाने की इजाजत मांगी थी। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पति को देश छोड़कर जाने से मना किया था क्योंकि वह दहेज प्रताड़ना और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत आरोपी है। आरोप में कहा गया है कि लड़की की जूलरी उसे नहीं दी गई है और सारी जूलरी उसकी सास और पति के भाई ने अपने पास रखी हुई है।
निचली अदालत ने गलती की: सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक अस्पष्ट जनरल का आरोप है कि सभी आरोपियों ने उसकी जिंदगी खराब कर रखी है। जूलरी के बारे मे भी विवरण नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो आरोप की प्रकृति है उसमें यह समझ नहीं आता कि क्यों याचिकाकर्ता को भारत में डिटेन करने का आदेश दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लड़की के अन्य ससुरालियों के कथित व्यवहार के लिए पति को उत्तरदायी नहीं माना जा सकता है। हमारा मत है कि चीफ ज्यूडिशियिल मैजिस्ट्रेट की कोर्ट ने अपने आदेश में गलती की है कि याचिकाकर्ता कोर्ट की इजाजत के बगैर देश छोड़कर नहीं जा सकता है। याचिकाकर्ता पर जो आरोप है वह पहली नजर में दहेज प्रताड़ना का नहीं दिखता है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स