सुपरटेक के डायरेक्टर्स को सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी- घर खरीदने वालों को 17 जनवरी तक पैसे लौटाएं वर्ना जेल भेजेंगे
उच्चतम न्यायालय ने नोएडा में 40 मंजिला दो टावरों को गिराने के आदेश का पालन नहीं करने के लिए बुधवार को रियल्टी कंपनी सुपरटेक लिमिटेड की खिंचाई की। कोर्ट ने अदालत से ‘खिलवाड़’ के लिए निदेशकों को जेल भेजने को लेकर चेताया। शीर्ष अदालत ने पिछले साल घर खरीदारों को किए जाने वाले भुगतान में कटौती का भी संज्ञान लेते हुए कहा कि रियल्टी कंपनी सब कुछ ‘दुरुस्त कर ले’ या ‘गंभीर परिणाम भुगतने’ के लिए तैयार रहे। इसने कहा कि यदि शीर्ष अदालत को लगा कि कंपनी उसके आदेश की अनदेखी करने के लिए सभी हथकंडे अपना रही है तो वह (अदालत) इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। अदालत ने कहा कि 17 जनवरी तक फ्लैट मालिकों को पैसा लौटाया जाए अन्यथा जेल भेज दिया जाएगा।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की खंडपीठ ने नोएडा प्राधिकरण को अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने और एक हलफनामा दायर करने का आदेश दिया, जिसमें यह वर्णन किया गया हो कि सुपरटेक लिमिटेड की एमराल्ड कोर्ट परियोजना के दो टावरों को ढहाने के लिए आज की तारीख तक क्या कदम उठाये गये हैं। पीठ ने नोएडा प्राधिकरण की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रवींद्र कुमार की इस दलील पर गौर किया कि शुरू में सुपरटेक लिमिटेड ने दोनों टावर को ढहाने के लिए एक एजेंसी का प्रस्ताव रखा था और इसकी मंजूरी के लिए सीबीआरआई को एक संदर्भ दिया गया था, लेकिन उस स्तर पर, सुपरटेक ने इस कार्य के लिए एक और प्रस्ताव रखा है।
इससे पहले पीठ ने सुपरटेक के वकील पराग त्रिपाठी से कहा, ‘क्या हुआ है? हम आपके निदेशकों को जेल भेजने जा रहे हैं, क्योंकि वे (निदेशक) शीर्ष अदालत के आदेश के पालन से भाग रहे हैं।’ त्रिपाठी ने कहा, ‘इस संबंध में, दो पक्ष थे जो टावर को ढहाने के प्रस्ताव के साथ आए थे और अब इस बारे में निर्णय नोएडा को लेना है। इस मामले पर सोमवार को सुनवाई की जा सकती है।’ इस पर पीठ ने नोएडा के वकील कुमार से पूछा कि त्रिपाठी की दलील पर उनका क्या कहना है?
कुमार ने कहा कि दोनों पक्षों में एडिफिस इंजीनियरिंग शामिल है, जिसने एक प्रस्तुति दी है और उसके बाद सीबीआरआई ने कुछ सुझाव दिए थे, जो टावर ढहाने वाली एजेंसी को भेजे गए थे। उन्होंने उन्हें शामिल करने का फैसला किया है, और अंतिम मंजूरी के लिए नोएडा ने इसे केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की को भेज दिया है।
उन्होंने आगे कहा, ‘अब नौ जनवरी, 2022 को सुपरटेक एक अन्य एजेंसी के साथ सामने आया है और उसने अपने पास भी एक कार्य योजना की जानकारी दी है। इसलिए नौ जनवरी को हमने फिर सीबीआरआई से संपर्क किया और कहा कि सुपरटेक ने दूसरी एजेंसी का नाम दिया है। कृपया इसकी भी जांच करें। हम पहली एजेंसी यानी एडिफिस इंजीनियरिंग के चयन के चरण में थे, लेकिन इस चरण में सुपरटेक एक और एजेंसी लाता है। इसे मैं अतिरिक्त हलफनामे और दस्तावेजों के माध्यम से रिकॉर्ड में रखना चाहता हूं।’ कुमार ने कहा कि वह बुधवार तक हलफनामा और अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करेंगे।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स