बेरोजगारी, बेअदबी, तस्करी… पंजाब विधानसभा चुनाव में किन मुद्दों पर ताल ठोंकने की तैयारी में पार्टियां?
उधर, कृषि कानूनों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़ने के बाद शिरोमणि अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन किया है। भाजपा ने सुखदेव सिंह ढींढसा नीत शिअद (संयुक्त) और पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है।
पंजाब में 14 फरवरी को मतदान होगा और मतगणना 10 मार्च को होगी।
राज्य में विपक्षी दल पिछले चुनावी वादों को लेकर राज्य सरकार की आलोचना करने के साथ ही बेरोजगारी के मुद्दे पर लगातार उस पर निशाना साधते रहे हैं।
विभिन्न विभागों में संविदा और अस्थायी कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित नहीं करने के लिए राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस को आलोचना का सामना करना पड़ा है। वहीं, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने 36,000 संविदा कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने के विधेयक को मंजूरी नहीं देने को लेकर राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के खिलाफ धरना देने की धमकी भी दी है।
गुरु ग्रंथ साहिब की कथित बेअदबी और इसका विरोध करने वालों पर पुलिस की गोलीबारी से जुड़े मामलों में न्याय दिलाना भी विधानसभा चुनाव में एक और मुद्दा है। कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू इन मामलों में न्याय की मांग करते रहे हैं और उन्होंने इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ लगातार मोर्चा खोला हुआ था।
मादक पदार्थों का खतरा, अवैध रेत खनन और राज्य का बढ़ता कर्ज अन्य ऐसे प्रमुख मुद्दे हैं जिनकी गूंज चुनाव प्रचार में सुनायी दे रही है। शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया पर हाल ही में मादक पदार्थ से जुड़े मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। हालांकि, उन्हें अभी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। मजीठिया की गिरफ्तारी को लेकर आप ने राज्य सरकार की आलोचना की है।
पंजाब के चुनावी परिदृश्य में कई दावेदारों की मौजूदगी से मामूली अंतर भी उम्मीदवारों की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है। किसी भी पार्टी के पक्ष में लहर नहीं होने के कारण सभी राजनीतिक दल पंजाब में अगली सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि आम आदमी पार्टी आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री पद के लिए अपना चेहरा घोषित कर सकती है जबकि इस पद के लिए कांग्रेस की तरफ से किसी चेहरे को पेश करने की संभावना नहीं है।
सत्तारूढ़ कांग्रेस ने सत्ता विरोधी लहर को दूर करने और आंतरिक कलह को खत्म करने के लिए पिछले साल अमरिंदर सिंह से इस्तीफा ले लिया था। कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया था जोकि इस पद पर आसीन होने वाले अनुसूचित जाति से संबंधित पहले व्यक्ति हैं।
हालांकि, पार्टी में आंतरिक कलह अभी भी दिखाई दे रहा है क्योंकि सिद्धू अक्सर अपनी ही पार्टी की सरकार पर हमला करते रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस नेताओं ने विश्वास जताया है कि वे सत्ता में बने रहेंगे।
वहीं, आप नेता राघव चड्ढा ने दावा किया है, ‘पूरे पंजाब में बदलाव की लहर है। मुझे पूरा विश्वास है कि वैलेंटाइन्स डे पर 14 फरवरी को पूरा पंजाब एक स्वर में कहेगा, ‘आई लव यू केजरीवाल’।’
इसी तरह, शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा, ‘राज्य के लोग तैयार हैं और उत्सुकता से एक मजबूत, स्थिर और विकासोन्मुख शिअद-बसपा सरकार की प्रतीक्षा कर रहे हैं।’
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘हम उस बड़े दिन के लिए पूरी तरह तैयार हैं, जो पंजाब का भविष्य तय करेगा।’
वहीं, कृषि कानूनों को लेकर किसानों की नाराजगी का सामना कर चुकी भाजपा भी चुनाव में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने का दावा कर रही है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स