बीजेपी और एसपी में बढ़ा ट्रांसजेंडर्स का कद, एक पूर्व कम्यूनिस्ट तो एक पीठाधीश्वर
दोनों के बारे में बता रहे हैं आनंद त्रिपाठी और दीप सिंह :
कभी कम्युनिस्ट थीं लखनऊ की पायल
लखनऊ में सब उन्हें पायल किन्नर के नाम से ही जानते हैं। अखिलेश यादव ने उन्हें अपनी पार्टी में किन्नर सभा का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भले ही बड़ी पहचान दी हो, मगर पायल को राजनीति में लाने वाले केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर थे। पायल के मुताबिक सन 2000 में जब वह लखनऊ में एक गैंगरेप की घटना का विरोध कर रही थीं, तब कौशल किशोर कम्युनिस्ट पार्टी में हुआ करते थे। कौशल को उनका संघर्ष पसंद आया और उनके कहने पर पायल ने कम्युनिस्ट पार्टी जॉइन कर ली। जब कौशल किशोर मलिहाबाद से चुनाव लड़े, तो पायल बीजेपी के कद्दावर नेता लालजी टंडन के खिलाफ लखनऊ की पश्चिम विधानसभा सीट पर खड़ी हुईं।
गरीब परिवार से आने वाली पायल के परिवार को जब यह पता लगा कि वह किन्नर हैं, तो उनके अपनों ने ही उन्हें कई बार मारने की कोशिश की। तब मां की सलाह पर वह छोटी सी उम्र में घर छोड़कर निकल गईं और जिंदगी गुजारने के लिए भीख तक मांगी। बकौल पायल, जब खाना नहीं मिलता था तो कई बार चाट की दुकान पर दूसरे के छोड़े हुए जूठन खाकर अपना पेट भरतीं। उन्नाव के बाद पायल कानपुर पहुंचीं, जहां उन्होंने एक होटल में बर्तन धोने का काम किया। यहीं उन्होंने सिनेमा हॉल में काम करना शुरू किया।
शुरू-शुरू में पायल सिनेमा देखने आने वालों को चाय बेचने का काम करतीं। मगर नाच-गाने की रुचि उसे बार-बार रील रूम लेकर चली जाती। यहीं उन्होंने सिनेमा की रील मशीन चलाना सीखा। बीच में पायल ने ऑटो भी चलाई। कानपुर में एक करीबी ने जब उनसे बदतमीजी कर दी तो पायल ने दोबारा लखनऊ का रुख किया। लखनऊ आने के बाद वह किन्नरों के समूहों में रहने और घर-घर बधाई मांगने का काम करने लगीं।
2002 में पायल ने राजनीति में हाथ आजमाया। मगर सफलता न मिलने के बाद फिर से अपने शौक की तरफ रुख किया। पायल ने किन्नरों के मुद्दे पर कई शॉर्ट फिल्में भी बनाई हैं। इसके अलावा पायल फाउंडेशन बनाया है, जिसका मकसद समाजसेवा है। पायल बताती हैं कि समाजवादी किन्नर सभा का अध्यक्ष बनने के बाद अब वह हर जिले में जाकर अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के लिए वोट मांगेंगी। पायल का जोर हर जिले में किन्नर सभा का गठन कर पार्टी को मजबूत करने पर है। इसके लिए वह लगातार प्रदेश के अलग- अलग हिस्सों का दौरा भी कर रही हैं।
किन्नर आश्रम की पीठाधीश्वर हैं सोनम
ट्रांसजेंडर सोनम चिश्ती को योगी आदित्यनाथ की सरकार ने किन्नर कल्याण बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया है। मूल रूप से अजमेर की रहने वाली सोनम को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ही राजनीति में लाए थे, लेकिन राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद वह बीजेपी की हो गई हैं। सोनम ने अखिलेश यादव को कभी मुख्यमंत्री न बनने का शाप तक दे डाला है। अब सोनम चुनाव लड़ना चाहती हैं। फिलहाल किन्नर समाज की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार उनकी प्राथमिकता है, उसके लिए वह काम कर रही हैं।
2010 में एसपी मुखिया अखिलेश यादव से उनकी मुलाकात अजमेर में ही हुई थी। वही उनको लखनऊ ले आए, और एसपी में शामिल कर लिया। तब तक वह दसवीं पास थीं। लखनऊ आकर उन्होंने समाजशास्त्र से ग्रैजुएशन की। फिलहाल वह कानूनी ज्ञान हासिल करने के लिए एलएलबी कर रही हैं। सोनम कहती हैं कि कानून की जानकारी तो सबको होनी चाहिए। उन्होंने 2014 में अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में नामांकन किया था, लेकिन बाद में पर्चा वापस ले लिया। 2018 में वहनगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ीं, लेकिन कुछ ही वोट के अंतर से हार गईं।
सोनम सुल्तानपुर के किन्नर आश्रम की पीठाधीश्वर भी हैं। हालांकि चुनाव के समय दिए गए हलफनामे में उन्होंने अपना मूल निवास अमेठी में बताया है। उनके पास कोई चल या अचल संपत्ति नहीं है। सोनम अखिलेश यादव से इसलिए नाराज हो गई थीं, क्योंकि जब उनकी सरकार थी, तब वह लगातार किन्नर कल्याण बोर्ड के गठन की मांग कर रही थीं। लेकिन उन्होंने उसका गठन नहीं किया। अब वह बीजेपी को देश का भविष्य मानती हैं और मोदी और योगी की जोड़ी को राम-लक्ष्मण की जोड़ी बताती हैं। सोनम कहती हैं कि देश के लिए मोदी और यूपी के लिए योगी का सत्ता में बने रहना जरूरी है। देखने वाली बात होगी कि वह किन्नर बोर्ड का उपाध्यक्ष बन जाने के बाद अपने समाज के लिए कितना फायदेमंद साबित होती हैं, और बीजेपी के लिए भी।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स