बिना बताए बीवी का फोन रिकॉर्ड किया तो खैर नहीं, हाई कोर्ट का फैसला पढ़ लीजिए
अगर आपको लगता है कि पत्नी की फोन पर बातचीत रिकॉर्ड करने में गलत ही क्या है, तो संभल जाइए। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है। एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दो टूक कहा कि बिना अनुमति पत्नी की टेलिफोन पर बातचीत को रिकॉर्ड करना उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
HC ने फेमिली कोर्ट, भठिंडा द्वारा फोन रिकॉर्डिंग को सबूत के तौर पर स्वीकार करने के फैसले को खारिज कर दिया। जस्टिस लिसा गिल की खंडपीठ ने फेमिली कोर्ट के 29 जनवरी 2020 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पति को तलाक के मुकदमे में पत्नी के खिलाफ क्रूरता का मामला दर्ज कराने के लिए उसके और पत्नी के बीच टेलिफोन पर हुई बातचीत को साबित करने की अनुमति दी गई थी।
फेमिली कोर्ट ने कॉम्पैक्ट डिस्क में दर्ज कथित टेलिफोन पर बातचीत साबित करके पति को पत्नी के खिलाफ लगाए गए क्रूरता के आरोपों को साबित करने की अनुमति दी थी। पति ने यह बातचीत फोन के मेमरी कार्ड में रिकॉर्ड की थी और इसे सीडी में लेकर कोर्ट पहुंचा था। शीर्ष कोर्ट ने इसे याचिकाकर्ता की पत्नी के मौलिक अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन करार दिया।
पूरा मामला समझिएयाचिकाकर्ता पत्नी के पति ने 2017 में कई आधार पर बठिंडा फेमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दी थी। आगे पति ने पत्नी के साथ टेलिफोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग को सबूत के तौर पर पेश करने की मांग की और फेमिली कोर्ट ने अनुमति दे दी। इस पर पत्नी ने फेमिली कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी और अब फैसला उनके पक्ष में आया। हाई कोर्ट ने फेमिली कोर्ट को तलाक की याचिका पर छह महीने में निर्णय लेने का आदेश दिया है। इस दंपति की शादी 20 फरवरी 2009 को हुई थी और मई 2011 में उन्हें एक बेटी हुई।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स