लैंगिक रूढ़िवादिता विवाद: सीबीएसई ने प्रश्न पत्र तैयार करने को लेकर समिति गठित की, डीसीडब्ल्यू ने भेजा नोटिस
ने 10वीं कक्षा की अंग्रेजी परीक्षा में कथित तौर पर लैंगिक रूढ़िवादिता विवाद के बाद प्रश्न पत्र तैयार करने की प्रक्रिया की पूरी समीक्षा करने और उसे मजबूत करने के लिए सोमवार को एक समिति गठित करने का फैसला किया। बोर्ड ने कहा कि गद्यांश बोर्ड की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार नहीं था और इस घटना पर खेद व्यक्त किया जाता है। इससे पहले सोमवा बोर्ड ने कहा कि उसने परीक्षा के पर्चे से विशेष पैरा और उससे जुड़े प्रश्नों को हटा दिया है। वह उक्त प्रश्नों के लिए छात्रों को पूर्ण अंक प्रदान करेगा।
बोर्ड ने एक आधिकारिक बयान में कहा सीबीएसई शिक्षा में समानता और उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्ध है और समावेशिता व लिंग संवेदनशीलता को बढ़ावा देता है। सीबीएसई ने 10वीं कक्षा के पहले टर्म की अंग्रेजी की परीक्षा से गद्यांश और उसमें पूछे गए प्रश्नों को हटा दिया है क्योंकि यह बोर्ड द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप नहीं थे। बयान में कहा गया है सीबीएसई दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर खेद व्यक्त करता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए प्रश्न पत्र निर्धारण प्रक्रियाओं की गहन समीक्षा व इसकी मजबूती के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर रहा है।
शनिवार को आयोजित 10वीं की परीक्षा में प्रश्नपत्र में महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया और अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है। जैसे वाक्यों का इस्तेमाल किया गया था, जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सीबीएसई की परीक्षा के एक प्रश्नपत्र में आए गद्यांश को महिला विरोधी बताते हुए सोमवार को लोकसभा में, बोर्ड और शिक्षा मंत्रालय से इस प्रश्नपत्र को तत्काल वापस लेने और इस विषय पर माफी की मांग की। सोनिया गांधी अंग्रेजी में उसके दो वाक्यों को भी उद्धृत किया जिनके अनुसार महिलाओं को स्वतंत्रता मिलना अनेक तरह की सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का प्रमुख कारण है और पत्नियां अपने पतियों की बात नहीं सुनती हैं, जिसके कारण बच्चे और नौकर अनुशासनहीन होते हैं।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स