सड़क हादसों में कितनों ने जान गंवाई? NCRB के आंकड़ों की पोल खोल रहा गडकरी का मंत्रालय!
दो सरकारी एजेंसियों के आंकड़ों में कितना अंतर हो सकता है? 10%? 20%? या फिर 50% से भी ज्यादा? वह भी तब जब दोनों एजेंसियों को आंकड़े एक ही जगह से मिलते हों। गृह मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और परिवहन मंत्रालय के तहत आने वाले ट्रांसपोर्ट रिसर्च विंग (TRW) के सड़क हादसों से जुड़े आंकड़ों में जमीन-आसमान का अंतर है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसी हफ्ते राज्यसभा में बताया कि 2020 में सड़क हादसों में 23,483 पदयात्रियों की मौत हुई। दूसरी ओर, NCRB की रिपोर्ट कहती है कि उसी साल सड़क हादसों में पैदल चलने वाले 11,091 लोगों ने जान गंवाई। यह आंकड़ा परिवहन मंत्रालय के आंकड़े से 51% कम है।
दोनों ही राज्य पुलिस विभागों से मिली रिपोर्ट्स के आधार पर आंकड़े तैयार करते हैं। दोनों एजेंसियों के आंकड़ों में अंतर सिर्फ इसी साल नहीं, पिछले कई सालों से नजर आ रहा है।
इतना अंतर कैसे हो सकता है?NCRB और TRW, दोनों हर साल सड़क हादसों से जुड़ी रिपोर्ट्स जारी करते हैं। TRW ने 2020 की रिपोर्ट अभी तक जारी नहीं की है। सालाना रिपोट्स में दोनों एजेंसियां कहती हैं कि वे ‘राज्य पुलिस विभागों’ से मिले डेटा को ‘सिर्फ कम्पाइल’ करते हैं। दोनों की पिछली रिपोर्ट्स का तुलनात्मक अध्ययन बताता है कि आंकड़ों में अंतर बराकरार रहा है। दोनों रिपोर्ट्स में कुल मौतों के आंकड़ों में ज्यादा अंतर नहीं है, मगर अलग-अलग श्रेणियों के तहत मौतों के आंकड़ों में भारी अंतर है।
सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौतें भारत मेंसूत्रों ने कहा कि NCRB को हर साल SCRBs से डेटा मिलता है जबकि TRW को हर महीने पुलिस विभागों से आंकड़े मिलते हैं और वह उन्हें छापने से पहले वेरिफाई करते हैं। डेटा ठीक न होना सही नीतियां तय करने में सबसे बड़ी रुकावट है। भारत के लिहाज से सही आंकड़ा मिलना बेहद अहम है क्योंकि दुनिया में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौतें भारत में ही होती हैं। पंजाब सरकार के ट्रैफिक एडवाइजर नवदीप असीजा ने कहा, ‘यह बड़ी पुरानी समस्या रही है जिसे कई बार उठाया गया है लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। इसका नीति निर्धारण या सड़क हादसों से जुड़े किसी भी फैसले में सीधा असर होता है।’
दो साल बाद मिलने लगेगा सही डेटाIIT मद्रास के प्रफेसर वेंकटेश बालासुब्रमण्यम ने सड़क मंत्रालय के सड़क हादसों के IT आधारित डेटा कैप्चर में अहम भूमिका निभाई है। वे कहते हैं, ‘सड़क हादसों से जुड़े डेटा की रिपोर्टिंग में कई विसंगतियां हैं। इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (iRAD) लॉन्च तैयार करने के पीछे यह भी एक वजह है।’ अब तक कम से कम 14 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश iRAD प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं। इसके जरिए सड़क हादसों और घटनाओं से जुड़ी सभी डीटेल्स रीयल आइम में ऑनलाइन कैप्चर होती हैं। बालासुब्रमण्यम ने कहा कि उम्मीद है कि 2022 अंत तक सभी राज्य इससे जुड़ जाएंगे और 2023 से सरकार को बिना किसी गड़बड़ी के सही डेटा मिलने लगेगा।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स