प्रदूषण पर जारी निर्देशों पर क्या अमल किया राज्य हलफनामा पेश करे: सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली व एनसीआर प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के साथ-साथ एनसीआर राज्यों यूपी, हरियाणा और पंजाब सरकार से कहा है कि वह एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमिशन के निर्देशों के अमल के बारे में हलफनामा पेश करें। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि निर्देशों का पालन जरूरी है अन्यथा हमें उसे पालन कराने के लिए स्वतंत्र टास्क फोर्स का गठन करना पड़ेगा। केंद्र सरकार से कहा है कि वह सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में कंस्ट्रक्शन गतिविधि होने के आरोपों के मामले में जवाब दाखिल करे।
कमीशन के निर्देश पर अमल संबंधित रिपोर्ट पेश करें राज्यसुप्रीम कोर्ट में सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए और बताया कि दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ने कई निर्दश जारी किए हैं इनमें शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म उपाय हैं। जिन पर राज्यों ने अमल किया है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कार्यालय में कर्मियों की 50 फीसदी उपस्थिति, दिल्ली में ट्रकों पर बैन करने और स्कूलों को बंद करने का सुझाव दिया था। साथ ही कंट्रक्शन एक्टिविटी पर बैन का भी आदेश दिया गया था। इस दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली और एनसीआर राज्य कमीशन के अनुपालन को लेकर हलफनामा दायर करें। राज्यों से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कमीशन के निर्देशों के अनुपालन के बारे में हलफनामा दायर करें और सुनवाई के लिए दो दिसंबर की तारीख तय कर दी है।
लेबर सेस से वर्करों को रिलीफ देने के आदेश पर क्या हुआचीफ जस्टिस ने कहा कि हमने 24 नवंबर को जो निर्देश जारी किए थे उसके अमल के बारे में भी राज्य रिपोर्ट पेश करें। 24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण के मद्देजनर अगले आदेश तक कंस्ट्रक्शन गतिविधियों पर फिर से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर राज्यों को निर्देश दिया था कि जब तक कंस्ट्रक्शन गतिविधियां बंद है तब तक रोक के दौरान लेबर सेस से वर्करों को न्यूनतम भत्ता दिया जाए। इस आदेश के अमल संबंधित रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर राज्यों को पेश करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य बताएं कि कंस्ट्रक्शन वर्करों को वेलफेयर फंड से फंड रिलीज करने के बारे में क्या अनुपालन हुआ है। कंस्ट्रक्शन बैन होने की स्थिति में वर्करों को वेलफेयर फंड से से रिलीफ देने को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि कंस्ट्रक्शन पर बैन के कारण प्रभावित 2.9 लाख मजदूरों को वेलफेयर फंड से पांच-पांच हजार रुपये दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे राज्यों से इस बाबत जानकारी मांगी है।
आदेश पर अमल नहीं हुआ तो टास्क फोर्स बनाना पड़ेगासुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कमीशन के तमाम निर्देश हैं और उन निर्देशों का राज्यों ने पालन किया है। इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्यों ने जो आदेश पर अमल किए हैं उस बारे में बताएं और अगर कोई आदेश पालन नहीं हुआ है तो उस पर तुरंत अमल करें। कमीशन के निर्देशों पर अमल जरूरी है अन्यथा हम स्वतंत्र टास्क फोर्स बनाने को बाध्य हो जाएंगे। आदेश पर अमल नहीं होने हमारे पास टास्क फोर्स के गठन का ही रास्ता बचेगा।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी पर केंद्र से मांगा जवाबमामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कंस्ट्रक्शन पर रोक का आदेश दिया था फिर भी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में काम चलता रहा। इस पर सॉलिसटिर जनरल से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब देने को कहा है। विकास सिंह ने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में पूरे जोर शोर से काम हो रहा था जबकि कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी बंद करने का आदेश था। प्रोजेक्ट आम लोगों के जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि विकास सिंह ने जो सवाल उठाए हैं कि दिल्ली में विस्टा प्रोजेक्ट में कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी चल रही थी उस पर हम सॉलिसिटर जनरल तो निर्देश देते हैं कि वह हलफनामा दायर करे। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर एयर क्वलिटी मैनेजमेंट कमीशन ने जो निर्देश दिए हैं उन पर राज्यों ने अमल नहीं किया तो सुप्रीम कोर्ट इसके लिए टास्क फोर्स का गठन कर सकता है। निर्देश जारी हुए हैं लेकिन नतीजा शून्य है। केंद्र कह रही है कि कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन स्थिति दिनोदिन खराब होती जा रही है। वहीं कोरोना का खतरा भी बरकरार है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन के मामले में जवाब दाखिल करे और साथ ही दिल्ली में केंद्र सरकार के कंट्रोल वाले इलाके में प्रदूषण रोकने के लिए क्या प्रयास किए गए हं।
केंद्र सरकार ने दाखिल किया है हलफनामा………….केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के ज़ॉइंट सेक्रेटरी की ओर से हलफनामा दायर कर कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 नवंबर के आदेश में कहा था कि दिल्ली की एयर क्वालिटी को ठीक रखने के लिए पहले से ऐहतियाती कदम उठाने की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि साइंटिफिक मॉडल और हवा के पैटर्न का आंकलन किया जाए और फिर पूर्वानुमान के आधार पर पहले से सरकार कदम उठाए। वह इस बात का अध्ययन करे कि अलग-अलग सीजन में हवा की क्वालिटी अलग रहती है और फिर हवा के पैटर्न और साइंटिफिक मॉडल के आधार पर कदम उठाए जाएं ताकि प्रदूषण को कंट्रोल किया जा सके।
केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि उक्त आदेश के तहत कमीशन ने एक एक्सपर्ट ग्रुप का गठन किया है जो एयर क्वलिटी का आंकलन करेगा। सालों पर अलग-अलग मौसम में एयर क्वालिटी का स्थिति क्या रहती है इसका अध्यययन किया जाएगा। साथ ही हवा के पैटर्न और साइंटिफिक डाटा के आधार पर पूर्वानुमान के तहत ईमरजेंसी स्टेप लिए जाएंगे। इसके लिए एक्सपर्ट ग्रुप सात दिन पहले बताएगा और साथ ही वह राजधानी के हॉट स्पॉट को भी चिन्हित करेगा। साथ ही राज्यों को अनुपालन रिपोर्ट भी पेश करने को कहा गया है।
केंद्र सरकार ने कहा कि कमीशन ने दिल्ली और एनसीआर राज्यों के प्रतिनिधियों और तमाम हित धारकों के साथ कई मीटिंग की है। साथ ही इसबात की पहचान की गई कि इलाके में प्रदूषण के कारण क्या हैं। प्रदूषण का मुख्य कारण इंडस्ट्रीज, वाहन का परिचालन, पराली जलाने, कंस्ट्रक्शन और डोमेलेशन साइट पर उड़ने वाले डस्ट, सड़क और ओपन इलाके के डस्ट और बायोमास जलाने, म्युनिसिपल ठोस वेस्ट जलो और लैंडफिल साइट पर फायर मुख्य कारण हैं। दिल्ली और एनसीआर राज्यों को तमाम निर्दश जारी किए गए जिसके तहत स्कूल और एजुकेशनल संस्थान बंद करने, कंस्ट्रक्शन साइट पर कंस्ट्रक्शन पर रोक से लेकर अन्य तमाम कदम उठाने को कहा गया। दिल्ली को कहा गया कि वह डस्क कंट्रोल मॉनिटिरंग के लिए वेब पोर्टल बनाए साथ ही प्लांटेशन और हरित क्षेत्र बढञ़ाने को कहा गया। ई रिक्शा के रजिस्ट्रेशन पर लगाए गए कैप को हटाने के लिए भी कहा गया है। साथ ही कहा गया कि 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल गाड़ी से पुराने वाहन पर एक्शन लिए जाएं।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स