'देश की तरक्की के लिए बहस और तर्क-वितर्क जरूरी' संविधान दिवस पर SC की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा है कि संविधान की संरचना में बहस और तर्क-वितर्क महत्वपूर्ण है। संविधान के तहत बहस (डिबेट) महत्वपूर्ण फीचर है और इससे आखिर में देश की तरक्की और लोगों का कल्याण होता है। सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन की ओर से के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने ये बात कही। इस मौके पर बार असोसिएशन के प्रेसिडेंट विकास सिंह, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता आदि मौजूद थे।
चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि संविधान का सबसे महत्वपूर्ण फीचर यह है कि उसमें बहस को स्थान दिया गया है। इसकी संरचना में बहस महत्वूर्ण जगह रखता है। उन्होंने कहा कि बहस और आपसी बाचतीच से देश की तरक्की और लोगों का वेलफेयर सुनिश्चित होता है। जज और वकील इसमें महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि वकीलों का रोल अहम है। संविधान निर्माताओं ने जो नीव रखी है उसे बनाने में लोगों का रोल अहम है। इसके कैसे निर्माण करना है इस पर उन्होंने प्रकाश डाला।
चीफ जस्टिस ने कहा कि 1949 में संविधान निर्माण हुआ और उसके बाद से समय-समय पर यह और समृद्ध हुआ है। कोर्ट के भीतर और बाहर लगातार बहस से चीजें सुनिश्चित हो पाई है। संविधान की बेहतरीन व्याख्या होती रही है। वकीलों की जिम्मेदीरी है कि वह लोगों को संविधान के बारे में जानकारी दें और कानून के बारे में समाज में लोगों को बताएं कि लोगों का क्या रोल है। संविधान बनाने वाले महान लोगों ने एक विजन दस्तावेज दिया है जिसे आगे ले जाना है। देश के भविष्य की जिम्मेदारी आप (वकीलों) पर है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि लीगल पेशे में विशेषज्ञता है और उन पर समाज की काफी जिम्मेदारी है। उन्हें निष्ठावान रहकर सामाजिक मुद्दे और सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाह करना है। उन्होंने वकीलों से कहा है कि आप समाज के लीडर भी हैं और मेंटोर भी। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन के प्रेसिडेंट विकास सिंह ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि जिन लोगों के खिलाफ गंभीर अपराध के मामले हैं उन्हें कानून बनाने का जिम्मा न दिया जाए। लॉ ब्रेकर को लॉ मेकर नहीं बनाया जाना चाहिए। 2014 में संसद में 23 फीसदी सांसदों के खिलाफ गंभीर मामले पेंडिंग थे जो अब बढ़कर 43 फीसदी हो चुके हैं।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स