26/11 हमले पर मनीष तिवारी ने अपनी ही सरकार पर उठाए सवाल, बीजेपी बोली- राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखा
भाजपा ने कांग्रेस पर साधा निशाना उनकी पुस्तक के इस अंश को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया और आरोप लगाया कि संप्रग सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखा। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने फिलहाल इस पुस्तक पर आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है, हालांकि लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने तिवारी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें यह मुद्दा उस वक्त उठाना चाहिए था जब वह मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे। तिवारी संप्रग सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे।
तिवारी की इस किताब में देश की सुरक्षा हालात पर प्रकाश लोकसभा सदस्य तिवारी ने इस पुस्तक में पिछले दो दशक के देश के सुरक्षा हालात पर प्रकाश डाला है। यह पुस्तक दो दिसंबर से पाठकों के लिए उपलब्ध होगी उन्होंने इस पुस्तक में नरेंद्र मोदी सरकार पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि उसने सेना के ‘माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प’ को खत्म कर भाजपा सरकार ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है। तिवारी कांग्रेस के उस ‘जी 23’ समूह में शामिल हैं जिसने पिछले साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में व्यापक संगठनात्मक बदलाव और जमीन पर सक्रिय अध्यक्ष की मांग की थी।
कभी-कभी संयम ताकत नहीं कमजोरी की निशानी- तिवारी उन्होंने मंगलवार को ट्विटर पर अपनी इस पुस्तक के कुछ अंश साझा किए। पुस्तक में उन्होंने लिखा, ‘अगर किसी देश (पाकिस्तान) को निर्दोष लोगों के कत्लेआम का कोई खेद नहीं है तो संयम ताकत की पहचान नहीं है, बल्कि कमजोरी की निशानी है। ऐसे मौके आते हैं जब शब्दों से ज्यादा कार्रवाई दिखनी चाहिए। 26/11 एक ऐसा ही मौका था।’ तिवारी ने मुंबई आतंकी हमले को क्रूर हमला करार देते हुए इसे ‘भारत का 9/11’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘एक ऐसा समय था जब भारत को प्रतिक्रिया में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी।’
26/11 हमले को लेकर किताब में लिखा उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी समुद्री मार्ग से मुंबई के विभिन्न इलाकों में घुस गए थे और उन्होंने अलग-अलग स्थानों पर गोलीबारी शुरू कर दी थी। उस हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए थे। भाजपा ने तिवारी की इस पुस्तक को लेकर आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन संप्रग सरकार को 2008 में 26 नवंबर को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के बाद जिस प्रकार की मजबूत जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए थी, वैसी नहीं की और उसने राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखा।
भाजपा पर किया हमला उन्होंने ट्वीट किया, ‘मुझे 304 पृष्ठों की किताब से एक उद्धरण पर भाजपा की प्रतिक्रिया पर हंसी आती है। इस पुस्तक में भारत को प्रभावित करने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा हालात संबंधी प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करने का प्रयास किया गया है। मुझे हैरानी होगी कि अगर भाजपा अपने शासनकाल के समय राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति से निपटने के संदर्भ में किए गए ‘कड़े विश्लेषण’ पर भी इसी तरह की प्रतिक्रिया दे।’
कांग्रेस ने नहीं की कोई टिप्पणी दूसरी तरफ, कांग्रेस ने तिवारी की पुस्तक पर फिलहाल आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने तिवारी की पुस्तक से जुड़े सवाल पर कहा, ‘‘पहले किताब आए, हम और आप पढ़ेंगे। फिर देखते हैं कि चर्चा करनी है या नहीं… उस किताब या किसी अन्य बात से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आम लोग आज महंगाई के कारण कितना संघर्ष कर रहे हैं। हमारा यह धर्म है कि हम इन लोगों की आवाज उठाएं।’’
अधीर रंजन चौधरी का बयान अधीर रंजन चौधरी ने तिवारी को निशाने पर लेते हुए कहा, ‘कभी-कभी विवादों से घिरी किताबें ज्यादा बिकती हैं। आज विवाद खड़ा हुआ है तो किताब ज्यादा बिकेगी और भाजपा सेल्समैन बन जाएगी।’ उन्होंने यह भी कहा कि तिवारी को मुंबई हमले के बजाय चीन और भारत की सीमा पर उसकी हालिया गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। तिवारी की इस पुस्तक से कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस नेता खुर्शीद की पुस्तक ‘सनराइज ओवर अयोध्या’ को लेकर विवाद खड़ा हुआ था क्योंकि इसमें उन्होंने कथित तौर पर हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोको हरम जैसे आतंकी संगठनों के साथ की थी। विवाद खड़ा होने के बाद खुर्शीद ने कहा था कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व में फर्क है और उन्होंने किसी को आतंकवादी नहीं कहा है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स