चंद्रयान-2 और नासा का ऑर्बिटर टकराने ही वाले थे, जानें ISRO ने कैसे बचाया
पिछले महीने के सामने अजीब सी स्थिति आ गई थी जब चंद्रयान -2 और के लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर टकराने के बिल्कुल करीब आ गए थे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस बात का खुलासा किया है कि चंद्रयान -2 ऑर्बिटर को अक्टूबर में नासा के लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) से टकराने से बचाने के लिए इसके ध्रुवीय कक्षा में बदलाव किया गया था। उत्तरी ध्रुव के पास नासा के LRO के साथ टकराने से बचने के लिए पिछले महीने इसके ध्रुवीय कक्षा से स्थानांतरित किया गया था।
पिछले महीने चंद्रयान -2 ऑर्बिटर और एलआरओ के बीच दूरी बहुत कम थी। इन दोनों के पास आने से एक हफ्ते पहले इसरो और जेपीएल / नासा दोनों की ओर से विश्लेषण में यह देखा गया अंतरिक्ष यान के बीच रेडियल अलगाव 100 मीटर से कम होगा और निकटतम दूरी उपरोक्त समय पर केवल 3 km होगी। इसरो की ओर से यह जानकारी दी गई।
इसरो की ओर से कहा गया है कि दोनों एजेंसियों ने माना कि इस तरह के जोखिम को कम करने के लिए collision avoidance manoeuvre (CAM) की जरूरत पड़ती है। दोनों एजेंसी इस बात पर सहमत थे कि इसरो का ऑर्बिटर उसी से गुजरेगा। चंद्रयान -2 और एलआरओ चंद्रमा की लगभग ध्रुवीय कक्षा में परिक्रमा करते हैं और इसलिए दोनों अंतरिक्ष यान चंद्र ध्रुवों पर एक दूसरे के करीब आते हैं।
ट्रैकिंग के साथ कक्षा निर्धारण के बाद डेटा में पुष्टि की गई थी कि निकट भविष्य में एलआरओ के साथ कोई निकट संबंध नहीं होगा। पृथ्वी कक्षा में उपग्रहों के लिए अंतरिक्ष मलबे और परिचालन अंतरिक्ष यान सहित अंतरिक्ष वस्तुओं के कारण टकराव के जोखिम को कम करने के लिए CAM से गुजरना आम बात है।
इसरो इस तरह के मामलों की निगरानी करता है और जोखिम के हिसाब से बदलाव किए जाते हैं। हालांकि, यह पहली बार है जब इसरो के अंतरिक्ष मिशन के लिए इस तरह मुश्किल सामने आई और यह अलग तरीके का अनुभव था।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स