पहली बार स्वर्गीय श्री सुन्दरलाल पटवा ने लागू किया था अंत्योदय कार्यक्रम : डॉ. रमन सिंह
रायपुर:छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन दिवंगत वरिष्ठ नेताओं को आज विनम्र श्रद्धांजलि दी गयी। विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने सदन की बैठक शुरू होते ही सदस्यों को इन वरिष्ठ नेताओं के विगत दिनों हुए निधन की सूचना दी। श्री अग्रवाल ने अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री मोहम्मद शफी कुरैशी, अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल डॉ. भाई महावीर, अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री सुन्दरलाल पटवा, पूर्व सांसद एवं अविभाजित मध्यप्रदेश शासन के पूर्व मंत्री श्री मानकूराम सोढ़ी, छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व मंत्री श्री तरूण चटर्जी और अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा की पूर्व सदस्य श्रीमती दुर्गावती पाटले के निधन का उल्लेख करते हुए उनका परिचय भी दिया। सदन के नेता और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, नेताप्रतिपक्ष श्री टी.एस. सिंहदेव, उच्च शिक्षा और राजस्व मंत्री श्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, संसदीय कार्य मंत्री श्री अजय चंद्राकर, कृषि और जल संसाधन मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, विधायक सर्वश्री भूपेश बघेल, अमित जोगी और मोहन मरकाम ने भी अपने शोक उदगार प्रकट किए।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सदन में इन सभी दिवंगतों के प्रति अपने शोक उद्गार व्यक्त किए। डॉ. रमन सिंह ने कहा – स्वर्गीय डॉ. भाई महावीर ने लंबे समय तक अविभाजित मध्यप्रदेश के राज्यपाल के रूप में अपनी कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया। वे एक प्रखर चिंतक और शिक्षाविद थे। आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए उन्हें 19 महीने तक जेल में भी रहना पड़ा। मृदुभाषी डॉ. भाई महावीर अत्यंत सहज-सरल स्वभाव के थे। डॉ. भाई महावीर इससे पहले राज्यसभा के भी सदस्य रहे। भाई महावीर, प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भाई परमानंद के सुपुत्र थे, इसलिए देशभक्ति और राष्ट्र सेवा के संस्कार उन्हें विरासत में प्राप्त हुए थे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठभूमि के साथ भाई महावीर भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से थे और जनसंघ के प्रथम महासचिव भी रहे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में भी संगठन को अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दी। उनके निधन से हम सबने एक कुशल प्रशासक, शिक्षाशास्त्री और चिंतक को खो दिया है।
डॉ. सिंह ने कहा कि स्वर्गीय श्री मोहम्मद शफी कुरैशी लगभग पांच वर्ष अविभाजित मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहे। उस दौरान मुझे छत्तीसगढ़ के कवर्धा से विधायक के रूप में मध्यप्रदेश की विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने का सौभाग्य मिला था। मुझे माननीय मो. शफी कुरैशी साहब से मिलने और उनकी विद्वतापूर्ण प्रशासनिक कार्यशैली को नजदीक से देखने का अवसर मिला। कश्मीरी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी, पंजाबी, हिन्दी, उर्दू, परशियन और अरबी भाषाओं का भी उन्हें बहुत अच्छा ज्ञान था। कुरैशी साहब ने बिहार और मध्यप्रदेश के राज्यपाल के रूप में अपनी कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया। रेल मंत्री के रूप में भी उन्होंने देश को अपनी सेवाएं दी। दो बार लोकसभा के सांसद रहे। हम सब उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्गीय श्री सुन्दरलाल पटवा को याद करते ही हम सबकी आंखों के सामने एक ऐसे विराट व्यक्तित्व की छवि उभरने लगती है, जिनकी छत्र-छाया में हम में से अधिकांश लोगों ने अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। वे हमारे वरिष्ठ मार्गदर्शक थे। श्री पटवा दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे । उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अपनी कर्मठ और कुशल प्रशासनिक दक्षता के साथ राज्य के विकास के लिए अनेक यादगार कदम उठाए। डॉ. रमन सिंह ने कहा-विधायक रहते हुए मुझे श्री पटवा के सम्पर्क में रहने और सरकार चलाने की उनकी प्रशासनिक दक्षता को बहुत नजदीक से देखने-समझने का सौभाग्य मिला। वे बहुत स्पष्ट वक्ता थे और आम जनता के हित में अपने त्वरित और कड़े निर्णयों के लिए जाने जाते थे। मुख्यमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में श्री पटवा ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के आदर्शों के अनुरूप मध्यप्रदेश में पहली बार अंत्योदय कार्यक्रम को लागू किया था। समाज की अंतिम पंक्ति के लोगों को योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए वे हमेशा तत्पर रहे। मुख्यमंत्री ने कहा-स्वर्गीय श्री पटवा अनेक बार मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। दस वर्ष वहां की विधानसभा में विपक्ष दल के मुख्य सचेतक रहे। उन्होंने अपने लम्बे सार्वजनिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। विधायक, विधानसभा के नेताप्रतिपक्ष, मध्यप्रदेश जनसंघ के महासचिव, फिर मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष, लोकसभा के सांसद, फिर केन्द्रीय मंत्री के रूप में भी उन्होंने देश को अपनी यादगार सेवाएं दी। वर्ष 1975 में आपात काल के दौरान आदरणीय पटवा जी लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेल में रहे। वे लोकतंत्र के सजग प्रहरी थे। उनके निधन से हम सबने अपना वरिष्ठ मार्गदर्शक खो दिया है।
डॉ. रमन सिंह ने स्वर्गीय श्री मानकूराम सोढ़ी को याद करते हुए कहा – स्वर्गीय श्री मानकूराम सोढ़ी वरिष्ठ और लोकप्रिय आदिवासी नेता थे। शिक्षक के रूप में उन्होंने अपना सार्वजनिक जीवन शुरू किया, फिर एक कर्मठ राजनेता के रूप में 82 वर्ष की उम्र तक लगातार जनता की सेवा करते रहे। मानकू दादा छत्तीसगढ़ के हमारे बस्तर अंचल से आते थे। कई बार बस्तर जिले से तत्कालीन मध्यप्रदेश की विधानसभा में विधायक रहे। अविभाजित मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहे। लोकसभा सांसद के रूप में उन्होंने दिल्ली में छत्तीसगढ़ और बस्तर की आवाज बुलंद की। मानकूराम जी अत्यंत सहज-सरल स्वभाव के थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्गीय श्री तरूण चटर्जी को छत्तीसगढ़ के ऐसे राजनेता के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने हमेशा गरीबों के लिए और समाज की अंतिम पंक्ति के लोगों के लिए आजीवन काम किया। वे चार बार रायपुर ग्रामीण से विधायक रहे। नगर निगम रायपुर के महापौर के रूप में और छत्तीसगढ़ सरकार के लोक निर्माण मंत्री के रूप में उनकी सेवाओं को हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय श्रीमती दुगार्वती पाटले को याद करने पर एक ऐसी कर्मठ और जागरूक महिला की छवि उभरती है, जिन्होंने महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन लगा दिया। स्वर्गीय श्रीमती पाटले वर्ष 1985 में मुंगेली से तत्कालीन अविभाजित विधानसभा में पहुंची थीं। उन्होंने हमेशा गांव, गरीब और किसानों के हित में काम किया और मुंगेली क्षेत्र के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें एक स्पष्ट और निर्भीक वक्ता के रूप में भी याद किया जाता है। दिवंगत नेताओं के सम्मान में सदन में दो मिनट का मौन धारण किया गया और इसके बाद सदन की कार्रवाई बुधवार एक मार्च को सवेरे 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।