मुख्यमंत्री ने ढेकी का चावल, मुनगा पावडर और शहद खरीदा : प्रदर्शनी में सहज भाव से लोगों से मिले मुख्यमंत्री, सेल्फी भी ली
रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां राजधानी के साइंस कॉलेज मैदान में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दौरान आयोजित जनजातीय समुदायों की जीवन शैली और विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई विकास प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री सहजभाव से लोगों से मिलते और उनका हालचाल भी पूछते रहे। प्रदर्शनी देखने आए एक वयोवृद्ध ग्रामीण को उन्होंने अपने पास बुलाकर उनका नाम और फसल कटाई के बारे में पूछा। श्री कोदूराम साहू ने मुख्यमंत्री को बताया कि वे कवर्धा के कोसमन्दा गांव से आए हैं। उनके पास 4 एकड़ भूमि है, फसल कटाई चल रही है। मुख्यमंत्री ने श्री साहू से यह भी पूछा कि बने दिखत हे, श्री साहू ने कहा हव बने दिखत हे। संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष श्री कुलदीप जुनेजा, योग आयोग के अध्यक्ष श्री ज्ञानेश शर्मा भी प्रदर्शनी के अवलोकन के दौरान मुख्यमंत्री के साथ थे।
प्रदर्शनी में मुख्यमंत्री ने मरवाही दनीकुंडी का ढेकी का चावल, मुनगा पावडर, शहद की खरीदी भी की। अनेक स्टॉलों में अपनी प्रस्तुति दे रहे नर्तक दलों से भी मुख्यमंत्री ने मुलाकात की और उनके साथ फोटो खिंचवाकर उनका उत्साहवर्धन किया। शिल्पग्राम में करमा तथा आदिमजाति विकास विभाग के स्टाल में सेंदुरखार से बैगा नर्तक दलों से उन्होंने मुलाकात की। दल के मुखिया ने फेंटा, कलगी और वीरन माला भंेटकर तथा करमा के दल ने केलिंगा भेंटकर मुख्यमंत्री का स्वागत किया। इस स्टाल में बैगा जनजाति के आवास का मॉडल बनाया गया था। मुख्यमंत्री ने वहां जाकर वहां प्रदर्शित वस्तुओं में गहरी रुचि दिखाई और उनके बारे में जानकारी ली। उन्होंने बैगा जनजाति की जीवनशैली की जीवंत प्रस्तुति की सराहना की। स्टाल में बैगाओं द्वारा घरों में परम्परागत रूप से उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं ढेकी, मूसर, जाता, कूढ़ेरा, पत्ते और बांस की खुमारी, परम्परागत गुलेल, ढूटी, कुमनी, पानी ठंडा रखने की तुमड़ी, तीर-धनुष आदि प्रदर्शित किए गए थे।
छत्तीसगढ़ समाज कल्याण विभाग के प्रदर्शनी हॉल में छत्तीसगढ़ शराब व्यसन मुक्ति अभियान के बैनर तले नशामुक्ति की प्रेरणा दे रहे गायक मंडली के पास जब मुख्यमंत्री पहुंचे तो गायक मंडली द्वारा गाये जा रहे गीत ‘दारू, गांजा, बीड़ी नहीं खाना पीना रे‘ के बोल सुनकर उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा गीत की तर्ज पर झूमने से अपने आप को रोक नहीं सके। गायक-वादक दल के स्वरों पर पांव थिरका कर श्री लखमा ने नशामुक्ति का संदेश दे रहे दल का उत्साह बढ़ाया। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने भी दल के सदस्यों की सराहना की। इस स्टाल में रागी जैसे मिलेट्स से तैयार किए गए सूप, इडली, चीला, डोसा और मिलेट् खीर जैसे व्यंजन रखे गए थे, जिनका स्वाद भी दर्शक चख सकते है।
नगरीय प्रशासन विभाग के प्रदर्शनी हॉल में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने धन्वंतरि जेनेरिक मेडिकल स्टोर के स्टाल पर योजना के तहत जेनरिक दवाओं की बिक्री की जानकारी ली। धन्वंतरि जेनेरिक मेडिकल स्टोर के स्टॉल पर मौजूद केमिस्ट ने मुख्यमंत्री को बताया गया कि गुणवत्तापूर्ण सस्ती दवा उपलब्ध कराने की इस पहल को जनता द्वारा हाथों-हाथ लिया जा रहा है। दवाओं पर हो रही बचत की वजह से कई मरीज जो पहले कुछ दिनों की आवश्यक दवाई खरीदते थे, वे अब 2-3 महीने की दवा एक साथ खरीद रहे हैं। मुख्यमंत्री ने वहाँ दाई-दीदी क्लिनिक का भी निरीक्षण किया और एसएचजी पैविलियन में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा बनाये जा रहे गोबर के दीयों, मिलेट की मिठाई और सजावटी समानों को देखा।
ऊर्जा विभाग के प्रदर्शनी हॉल में मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी द्वारा लगाए गए कंप्यूटर पर हेडफोन लगा कर मोर बिजली एप में उपभोक्ता क्रमांक दर्ज करने पर बिजली बिल हाफ योजना के तहत मिल रही छूट की जानकारी ऑडियो सन्देश के माध्यम से सुनी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया को भी हेडफोन देकर उन्हें बिजली बिल हाफ पर मिल रही छूट का ऑडियो सन्देश सुनवाया। यहां उन्होंने साधन वन क्षेत्रों के गांवों में विधुतीकरण के मॉडल का अवलोकन किया।
पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए दिया इंटरव्यू
उच्च शिक्षा विभाग के प्रदर्शनी हॉल में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जब कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के स्टॉल पहुंचे तो वहां विश्वविद्यालयीन फैकल्टी श्री चंद्रेश चौधरी ने वन-टू-वन इंटरव्यू के लिए माइक बढाते हुए मुख्यमंत्री से पूछा कि ये आदिवासी नृत्य महोत्सव छत्तीसगढ़ में हो रहा है मगर यहां ऐसा लग रहा है, जैसे पूरा भारत यहां उत्सव मना रहा है। इस पर मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लोग इस महोत्सव में शामिल हैं। छत्तीसगढ़ की समृद्ध आदिवासी संस्कृति को विश्वपटल पर लाने की हमने एक शुरुआत की है, ये सिलसिला भविष्य में और आगे बढ़ेगा।