39 महिला आर्मी ऑफिसरों को परमानेंट कमीशन,7 दिनों में आदेश पारित करे केंद्र
सुप्रीम कोर्ट ने डिफेंस मिनिस्ट्री के प्रयास की सराहना कीसुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने डिफेंस मिनिस्ट्री के प्रयास की सराहना की और कहा कि एक नवंबर तक इन 39 महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर महिला अधिकारियों ने कहा था कि उन्हें परमानेंट कमीशन देने से मना किया गया था। उनका दावा है कि उन्होंने तमाम क्राइटेरिया को पूरा किया है। उन्होंने 60 फीसदी कटऑफ पाए हैं और विजिलेंस क्लीयरेंस हुआ है और साथ ही मेडिकली फिट हैं और मार्च में दिए सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के विपरीत उनके दावे को नकारा गया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि केंद्र से हलफनामा पेश करने को कहा था। साथ ही कहा था कि किसी महिला को इस दौरान रिलीव न किया जाए।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहाशुक्रवार को केंद्र सरकार की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 72 में एक महिला ऑफिसर ने रिलीव करने को कहा बाकी 71 में 39 को परमानेंट कमीशन दिया जा सकता है। जबकि 25 के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही है और 7 मेडिकली अनफिट हैं। केंद्र ने कहा कि इस मामले में कोई भेदभाव नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह 39 महिला अधिकारियों को सात वर्किंग डे में परमानेंट कमीशन प्रदान करें। साथ ही कहा है जिन 25 महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन के योग्य नहीं माना गया है उनके बारे में डिटेल पेश किया जाए कि उन्हें अयोग्य माने जाने के पीछे आधार क्या है।
क्या है यह पूरा मामला
25 मार्च 2021 को अवमानना याचिका पर क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसलासुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने के लिए जो मूल्यांकन का क्राइटेरिया तय किया गया है वह मनमाना और भेदभावपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार (आर्मी अथॉरिटी)से कहा है कि वह शॉर्ट सर्विस कमिशन की महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन देने के आवेदन पर एक महीने के भीतर फिर से विचार करे और दो महीने के भीतर ऑर्डर करे। महिला अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि परमानेंट कमीशन के लिए जो क्राइटेरिया और प्रक्रिया तय किया गया है वह मनमाना, अनफेयर और अतार्किक है। सुप्रीम कोर्ट ने शॉर्ट सर्विस कमिशन की महिला ऑफिसर जो परमानेंट कमिशन चाहती हैं उनकी उस गुहार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया कि महिला अफसरों को परमानेंट कमिशन देने के लिए तय एसीआर (एनुअल कन्फिडेंशियल रिपोर्ट) की प्रक्रिया में खामी है और ये भेदभाव वाला है।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में महिला अधिकारियों की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया था कि उन्हें परमानेंट कमीशन देने से मना किया गया था। उनका दावा है कि उन्होंने तमाम क्राइटेरिया को पूरा किया है। उन्होंने 60 फीसदी कटऑफ पाए हैं और विजिलेंस क्लीयरेंस हुआ है और साथ ही मेडिकली फिट हैं और मार्च में दिए सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के विपरीत उनके दावे को नकारा गया है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी 2020 को महिला अधिकारियों को परमानेंट कमिशन देने को कहा था
पिछले साल 17 फरवरी को आर्म्ड फोर्स में महिलाओं के साथ भेदभाव को खत्म करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि सभी महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन मिलेगा और उनके लिए कमांड पोजिशन का रास्ता भी साफ कर दिया था। अदालत ने कहा था कि जो महिला ऑफिसर नौकरी में हैं उनके ऑप्शन दिए जाने पर परमानेंट कमीशन देने पर विचार होगा।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स