क्या सिद्धू को ऐसे ही परेशान करते रहेंगे कैप्टन, सवालों में उलझी कांग्रेस और गुरु को नहीं मिल रहा जवाब
अगले साल पंजाब में चुनाव होने हैं। अकाली दल हो या आप (आम आदमी पार्टी) हर पार्टी गुणा-गणित में लगी है। वहीं, सत्ता में काबिज कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दर्द से ही नहीं उबर पा रही है। कैप्टन पंजाब में कांग्रेस को इतना उलझा गए हैं कि वह गुत्थियों को सुलझाने में ही खपी जा रही है। सबसे ज्यादा नुकसान वह नवजोत सिंह सिद्धू को पहुंचाकर गए हैं। कैप्टन ऐसी स्थितियां बनाकर गए हैं कि भविष्य में भी सिद्धू के सीएम बनने के सभी रास्ते बंद हैं। अब ले-देकर उनके पास शायद कैप्टन पर हमला करने के अलावा कुछ नहीं बचा है।
कांग्रेस में कैप्टन का चैप्टर बंद हो चुका है। वह पार्टी छोड़ चुके हैं। नया दल बनाने का भी ऐलान कर दिया है। यह और बात है कि कैप्टन का भूत कांग्रेस खासतौर से सिद्धू के सिर से उतर नहीं रहा है। वह अब भी उन पर हमला करने में लगे हैं। जब चुनावी नगाड़ों के बीच उनसे पार्टी को मजबूत करने की अपेक्षा है, उस वक्त प्रदेश कांग्रेस प्रमुख बड़ी चुनौतियों से मुंह मोड़ कैप्टन पर हमला करने में व्यस्त है। कुल मिलाकर कांग्रेस की पंजाब में चुनाव के लिए कोई स्ट्रैटेजी नहीं दिख रही है।
फिर साधा है अमरिंदर पर निशाना
सिद्धू ने अमरिंदर सिंह पर फिर निशाना साधा है। उन्हें केंद्र के तीन कृषि कानूनों का आर्किटेक्ट यानी ‘वास्तुकार’ बताया है। सिद्धू ने कृषि कानूनों के अमल में आने पर खेती-किसानी में बड़े उद्योगपतियों का दखल बढ़ने के किसानों के आरोपों के संदर्भ में ट्वीट किया। लिखा, ‘तीन काले कानूनों के आर्किटेक्ट… जो अंबानी को पंजाब की किसानी में लाए… जिन्होंने एक-दो बड़े कॉरपोरेट के लाभ के लिए पंजाब के किसानों, छोटे विक्रेताओं और मजदूरों को बर्बाद किया।’
अमरिंदर से उबर नहीं पा रहे सिद्धू
सिद्धू का ताजा ट्वीट संकेत देता है कि वह अमरिंदर को अब भी बड़े करीब से फॉलो कर रहे हैं। क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू की टिप्पणी सिंह के उस बयान के दो दिन बाद सामने आई है जिसमें उन्होंने जल्द ही अपना राजनीतिक दल बनाने का ऐलान किया था। उन्होंने उम्मीद जताई है कि अगर किसानों के हितों से संबंधित मुद्दे का हल निकाला जाता है, तो बीजेपी के साथ सीट बंटवारे पर विचार किया जा सकता है।
पिछले महीने सीएम पद से इस्तीफा देने वाले सिंह ने यह भी कहा था कि वह समान विचारधारा वाले दलों जैसे कि टूटकर बने अकाली समूहों के साथ गठबंधन पर विचार कर रहे हैं। सिद्धू ने ताजा ट्वीट में अमरिंदर सिंह का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इसके साथ उनका एक वीडियो साझा कर उन्हें कृषि कानूनों का आर्किटेक्ट बताया। तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले साल 26 नवंबर से सैकड़ों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हैं। इनमें से ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से हैं।
सिद्धू के दर्द का कारण समझिएअमरिंदर सिंह ने पिछले महीने सिद्धू के साथ सत्ता संघर्ष के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू पर तीखा हमला किया था। उन्होंने दावा किया था कि अगर सिद्धू को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो वह पंजाब का बेड़ागर्क कर देंगे। सिद्धू के पाकिस्तान के साथ गहरे संबंध हैं। पाकिस्तान का प्रधानमंत्री सिद्धू का दोस्त है। जनरल बाजवा के साथ भी सिद्धू की दोस्ती है। अमरिंदर ने धमकी दी थी कि अगर सिद्धू को सीएम बनाया गया तो वह खुलकर विरोध में उतर आएंगे।
सीएम बनने के रास्ते बंद
कैप्टन की नाराजगी को नजरअंदाज कर सिद्धू को पीसीसी चीफ बनाने वाला कांग्रेस आलाकमान भी इस बार हिम्मत नहीं जुटा पाता। साथ ही एक ट्रंप कार्ड चलता है। कैप्टन की जगह चरणजीत सिंह चन्नी नए मुख्यमंत्री बनते हैं। इसके बाद प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ने एक बयान दिया था। इसे लेकर कांग्रेस को सफाई तक देनी पड़ी थी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस सिद्धू की अगुवाई में चुनाव लड़ेगी। उनके इस बयान पर पार्टी के लोगों ने ही सवाल खड़े कर दिए थे। फिर साफ कहा गया था कि चन्नी ही चुनाव में कांग्रेस का चेहरा होंगे।
चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के पहले दलित सीएम हैं। कांग्रेस ने इस बात को ढिंढोरा पीट-पीटकर बताया है। मकसद पिछड़ी जाति के वोटरों को लुभाना है। अगर चन्नी के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव जीत जाती है तो उन्हें हटा पाना नामुमकिन जैसा होगा। ऐसे में सिद्धू का सीएम बनने का रास्ता करीब-करीब बंद ही हो गया है।
खुद भी दूसरों को दिया मौका
एक और बात यह है कि सिद्धू ने लगातार दूसरों खासतौर से अमरिंदर को हमला करने का मौका दिया है। उन्होंने अचानक प्रदेश कांग्रेस प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया था। इस तुनक मिजाजी से सिद्धू की छवि को ही नुकसान हुआ। अमरिंदर सिंह ने फिर उन पर हमला बोला। अन्य दलों ने भी उन पर निशाना साधा और मजाक उड़ाया।
कांग्रेस को उलझा गए कैप्टन
सिद्धू के गुणा-गणित से कैप्टन का विकेट जरूर गया, लेकिन वह कांग्रेस और सिद्धू दोनों को उलझनों के पहाड़ में डाल गए हैं। इनके जवाब शायद दोनों के पास नहीं हैं। पंजाब में चुनाव सिर्फ कुछ महीने दूर हैं। पार्टी सिद्धू, चन्नी, रावत और अमरिंदर के झमेलों से नहीं निकल पा रही है। जब तब पंजाब का मसला दिल्ली पहुंचता है। पार्टी अब तक साफ नहीं कर पाई है कि उसके मुद्दे क्या होंगे, उसकी चुनावी रणनीति क्या होगी? कैप्टन कांग्रेस के ही सीएम थे। उन पर हमले कर कांग्रेस को फायदे से ज्यादा नुकसान हो सकता है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स