रमन अपने पुत्र को समझा लेते तो कवर्धा में तनाव होता ही नहीं
रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा कवर्धा तनाव के कारण अपना जन्मदिन नहीं मनाने के निर्णय को कांग्रेस ने घड़ियाली आंसू बहाने की संज्ञा दी है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह को वास्तव में कवर्धा की इतनी ही चिंता होती तो कवर्धा में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनती ही नहीं। रमन अपने पुत्र को समझा लेते तो कवर्धा में तनाव होता ही नहीं। युवाओं के दो छोटे समूह के झगड़े को भारतीय जनता पार्टी संघ ने सांप्रदायिक तनाव का रंग देने का प्रयास किया। रमन सिंह के पुत्र पूर्व सांसद अभिषेक सिंह और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय ने वहां पर माहौल को और बिगाड़ने का काम किया।
रमन सिंह जेल में बंद उपद्रवी तत्वों के लिये चिंहित है लेकिन कवर्धा में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिये दोनों पक्षों से शांति की अपील रमन सिंह ने कभी नहीं किया। रमन सिंह जन्मदिन नहीं मनाने की नौटंकी करने के बजाय अपने पुत्र को शांति और सद्भाव की शिक्षा देते तो प्रदेश और कवर्धा का ज्यादा भला होता। रमन सिंह प्रदेश के तीन बार 15 सालों तक मुख्यमंत्री रहे है। प्रदेश की जनता उनसे इतनी अपेक्षा तो रखती है कि खोई हुई सत्ता प्राप्ति के जतन के लिये वे प्रदेश की गंगा जमुनी तहजीब पर प्रहार नहीं करेंगे।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कवर्धा में शांति की स्थापना और कर्फ्यू में ढील के बाद जिस प्रकार से संघ भाजपा और विहिप के लोगों ने प्रदेश भर में प्रदर्शन किया, उससे स्पष्ट हो गया कि कवर्धा तनाव संघ और भाजपा की सुनियोजित प्रयोग था जिसे भाजपा पूरे प्रदेश में फैलाकर अपनी राजनैतिक रोटी सेकना चाहती है। एक शहर के दो गुटों के छोटे से झगड़े को सांप्रदायिक तनाव में बदलने की साजिश के बाद उसको प्रदेश स्तर पर विस्तारित करने की भाजपा की योजना बेनकाब हो चुकी है। प्रदेश और देश की जनता भाजपा के चरित्र को जान चुकी है भाजपा अपने राजनैतिक हितों को साधने के लिये किसी भी स्तर तक जा सकती है।