अरावली फॉरेस्ट एरिया में ध्वस्त नहीं किए गए ढांचों की डिटेल दे फरीदाबाद नगर निगम- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नगर निगम से कहा कि यदि खोरी गांव में अरावली वन भूमि पर संरचनाएं खड़ीं हैं तो उनके बारे में क्षेत्रवार ब्योरा प्रदान करें और यह भी बताएं कि उन्हें ध्वस्त क्यों नहीं किया गया है। खोरी गांव से संबंधित मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह निर्देश दिया, जहां अरावली वन क्षेत्र के अंतर्गत आनी वाली अनधिकृत संरचनाओं को हटा दिया गया है।
कोर्ट ने मांगा जवाब अदालत ने कहा कि निगम यह भी बताए कि उसने उन अनधिकृत संरचनाओं के मलबे को हटाने के लिये क्या कदम उठाए हैं, जिन्हें ध्वस्त किया जा चुका है। नगर निगम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ को बताया कि 15 सितंबर तक निगम को पुनर्वास के लिये लोगों की ओर से कुल 2,391 आवेदन मिले हैं। इनमें से 892 आवेदनों के प्रथम दृष्टया सही पाया गया है।
निगम आयुक्त को दिया गया निर्देश पीठ ने कहा, इसमें कहा गया है, ‘हम फरीदाबाद नगर निगम के आयुक्त को निर्देश देते हैं कि वह सुनवाई की अगली तारीख से पहले, वन भूमि पर खड़े उन ढांचों का खुलासा करते हुए क्षेत्रवार ब्योरा प्रस्तुत करें, जिन्हें अभी ध्वस्त नहीं किया गया है। साथ ही वह अनधिकृत ढांचों को न गिराए जाने के बारे में स्पष्टीकरण भी पेश करे।”न्यायालय ने मामले की सुनवाई 22 अक्टूबर तक के लिये स्थगित कर दी।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स