हमने निवेशकों का जीता है भरोसा, राज्य आगे बढ़ेगा : रघुवर दास
रांची : ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट का समापन हाे गया. 210 कंपनियाें के साथ एमआेयू हुए. तीन लाख कराेड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव आये. सरकार ने भी दिल खाेल कर निवेशकाें का स्वागत किया. आयाेजन भी भव्य रहा. कैसे आयाेजन हुआ, अब एमआेयू कैसे अमल में आयेगा, चुनाैतियां क्या हैं… इन सब सवालाें पर सतीश ने राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास आैर आयाेजन में मुख्य भूमिका निभानेवाली मुख्य सचिव राजबाला वर्मा से मनोज लाल आैर मुख्यमंत्री के सचिव सह उद्याेग सचिव सुनील बर्णवाल से विवेक ने बात की.
निवेशकों ने ग्लाेबल इनवेस्टर्स समिट की तारीफ की. आप पहली बार आयोजित समिट को कैसे आंकते हैं?
देखिए, ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट निवेशकों को आकर्षित करने का एक मंच है. यह ऐसा मंच है, जहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दिग्गज सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए और अपने प्रदर्शन व संभावनाआें को बेहतर बनाने के लिए एकत्रित हुए. विश्व, विचारों से चलता है और प्रत्येक व्यापारिक अवसर विचार से ही आरंभ होता है. निवेश करा पाना तब तक संभव नहीं हो पाता, जब तक कि संभावित निवेशकों को यह विश्वास नहीं दिला दिया जाता है कि झारखंड की स्थिति में सुधार हो गया है. उनके निवेश पर राज्य उन्हें अच्छे प्रतिलाभ प्रदान करेगा. इसका अर्थ बिल्कुल नये साधन के साथ झारखंड को प्रदर्शित करना है. इस आयोजन से हमने निवेशकों का भरोसा जीता है. सरकार पर उनका विश्वास भी बढ़ा है.
निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने के लिए क्या कोई समयबद्ध योजना है?
समिट में राज्य सरकार ने 210 कंपनियों के साथ एमओयू किया है. एमओयू के अनुसार ये कंपनियां करीब तीन लाख 10 हजार 287 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी. 210 कंपनियों में 172 एमओयू पर एक वर्ष के अंदर काम शुरू हो जायेगा. दो वर्ष यानी 2019 तक कंपनियां उत्पादन शुरू कर कर देंगी. 38 एमओयू दीर्घकालीन है.
दो वर्ष में इन पर काम शुरू हो जायेगा. वर्ष 2021-22 तक यानी तीन साल में उत्पादन शुरू हो जायेगा. एमओयू की निगरानी के लिए मुख्यमंत्री पूंजीनिवेश प्रोत्साहन बोर्ड का गठन किया जायेगा. इसकी बैठक हर माह होगी. इसमें निवेशकों को आ रही कठिनाइयों या कोई और समस्या आ रही है, तो उसका समाधान करेंगे.
छोटे निवेशों पर सरकार ने ज्यादा फोकस किया है. इसकी कोई खास वजह है क्या? मेक इन झारखंड का सपना कब तक साकार हो पायेगा?
राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का सबसे अधिक योगदान रहा है. पिछले कुछ वर्षों में छोटे उद्योग की उपेक्षा हुई है. भारत सरकार ने भी आर्थिक सुधार में छोटे उद्योग पर काफी रियायत दी है. कॉरपोरेट सेक्टर (बड़े निवेशकों) का भी अपना महत्व है, लेकिन हम रोजगार, निर्यात की दृष्टि से देखें, तो छोटे उद्योग अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं. इसलिए इन्हें राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी है. झारखंड में गरीबी है. बेरोजगारी है. पलायन है. हमें इससे निजात पाना है. राज्य को आगे बढ़ाना है.